tag:blogger.com,1999:blog-5310871667756610125.post7911204246500231682..comments2023-10-14T03:27:45.029-05:00Comments on अनिल का हिंदी ब्लाग: एक अकेला चना जिसने भाड़ फोड़ा - ३Anil Kumarhttp://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5310871667756610125.post-29858669487218313402008-08-09T01:18:00.000-05:002008-08-09T01:18:00.000-05:00यह सभी जानते हैं कि समूह अकेले से कहीं अधिक बलवान ...यह सभी जानते हैं कि समूह अकेले से कहीं अधिक बलवान होता है। लेकिन कलियुग की अंधी दौड़ के चलते व्यक्ति का एक-दूसरे से विश्वास उठता जा रहा है, जिस वजह से हम सब जो कभी "समूह" रहा करते थे, मात्र अकेले व्यक्ति बन कर रह गये हैं। बम धमाकों के समय यही लग रहा था कि अपनी रक्षा जो खुद करेगा, वही कल का सूरज देखेगा। मैं बार-बार कहानियों के ज़रिये यह बताना चाहता हूं कि यदि समूह ने काम करना बंद कर दिया है तो घबराने की कोई बात नहीं है। अकेला आदमी भी अपने आप को सशक्त बना सकता है, फिर समूह का पुनर्निर्माण भी किया जा सकता है। गौर देने की बात है कि यह समूह समाज हो सकता है, देश भी, और हमारी प्यारी-अप्यारी भारत-सरकार भी।<BR/><BR/>कुल मिलाकर, मैं बार-बार सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि इस अंधी दौड़ में शामिल न होकर सिर्फ वही करें जो आपको सिखाये संस्कारों और नैतिकताओं की दृष्टि में सही हो। फिर चाहे अकेले ही क्यों न हों। गीतोपदेश का सारांश भी यही कहता है - (सु)कर्म करो, फल की चिंता मत करो।Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5310871667756610125.post-21434667783696996792008-08-08T23:15:00.000-05:002008-08-08T23:15:00.000-05:00आप व्यक्ति को समूह से ज्यादा मूल्यवान बताते हैं......आप व्यक्ति को समूह से ज्यादा मूल्यवान बताते हैं...मगर आप खुद देख लीजिये आपके व्यक्ति को कितना बलिदान देना पड़ता है ..जैसे ये मेढक भी गूंगा-बहरा था . अब भला जिस मेढक के पास के पास मुंह और कान सलामत हो वो तो चना नहीं फोड़ सकता है .कुछ ऐसा कहते कि मुंह-कान भी रहता और चना भी फोड़ डालता और मुंह-कान तब भी बचा रहता, तो शायद मेरे हिसाब से ज्यादा प्रभावकारी होता .आलोक कुमारhttps://www.blogger.com/profile/11343758275347219485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5310871667756610125.post-52440582609661815362008-08-08T13:11:00.000-05:002008-08-08T13:11:00.000-05:00प्रेरक प्रसंग-खासकर सभी चिट्ठाकारों के लिए विशेष. ...प्रेरक प्रसंग-<BR/>खासकर सभी चिट्ठाकारों के लिए विशेष. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5310871667756610125.post-24795056725007190052008-08-08T10:49:00.001-05:002008-08-08T10:49:00.001-05:00धन्यवादधन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5310871667756610125.post-13564226565166128632008-08-08T10:49:00.000-05:002008-08-08T10:49:00.000-05:00धन्यवादधन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5310871667756610125.post-81886902636402317422008-08-08T08:19:00.000-05:002008-08-08T08:19:00.000-05:00sahi kaha hai....essa hi hota h aisahi kaha hai....<BR/>essa hi hota h aiManvinderhttps://www.blogger.com/profile/11286649687914732408noreply@blogger.com