शुक्रवार, 1 अगस्त 2008
माँ की चिट्ठी
कई प्रकांड पंडित आजकल दूसरों की चिट्ठी फ्रिज पर से उतार कर अपने चिट्ठों पर मढ़ रहे हैं। लेकिन मैं आज अपनी ही एक चिट्ठी यहाँ दिखला रहा हूँ. आज मुझे घर से माँ की चिट्ठी मिली। १३,००० किलोमीटर दूर से। पढ़कर बहुत अच्छा लगा, और अपने आप पर विशवास और भी पक्का हो गया। पढिये क्या लिखा है:
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1 टिप्पणी:
मां को हमारा प्रणाम
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