शुक्रवार, 15 अगस्त 2008

ओलंपिक के धोखे: भाग १

इस बार चीन में हो रहे ओलंपिक खेलों के बारे में बहुत से लोग कह रहे हैं कि धोखाधडी चल रही है। लेकिन मुझे ये ओलंपिक खेल एक फ़िल्म से कम नहीं लग रहे हैं। कारण बहुत हैं, लेकिन सिर्फ़ कुछ ही का खुलासा करूंगा।



सबसे पहले तो बीबीसी द्वारा किया गया खुलासा - कि जिस ९ साल की बच्ची ने ओलंपिक उद्घाटन समारोह में गाना गया था, असल में वह सिर्फ़ मुंह हिला रही थी। गाना गाने वाली बच्ची तो कोई और थीबदसूरत होने की वजह से उस नन्ही गायिका को करोड़ो दर्शकों के सामने नहीं पेश किया गया, पार्श्वगायन करवाया गया। इसे कई लोग धोखा कह रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह धोखा नहीं है - भारत में हर साल बनने वाली २००० फिल्मों में यही तो होता है। यदि वह धोखा नहीं है तो यह भी धोखा नहीं है। उद्घाटन समारोह का एकमात्र उद्देश्य मनोरंजन था, न कि किसी तरह की परीक्षा या प्रतियोगिता - बिल्कुल वैसा ही जैसे कि फिल्मों में होता है। वैसे तो भारतीय राजनीति में भी कुछ लोग सिर्फ़ मुंह हिलाते हैं, असली गाना तो कोई और गा रहा होता है, इसे क्या किसी ने कभी धोखा कहा?

ओलंपिक के धोखे: भाग १ | भाग २ | भाग ३ | भाग४

2 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

एक की जगह दो का भला, इस में कैसा धोखा।

बेनामी ने कहा…

मुझे लगता है की यह धोखा ही है........यदि आप किसी को प्रस्तुत करते है की यह काम यही व्यक्ति कर रहा है, परन्तु असल में कर कोई दूसरा रहा है , तो उसे शायद धोका देना ही कहेंगे...........सवाल यह नही है की किसका भला हो रहा है या नुकसान सवाल यह है की जो बताया गया, वह असल में हुआ या नही, इसलिए ये साफ सब्दो में धोखा ही है.........
१. हिन्दी सिनेमा में अगर अभिनेता या अभीनेत्री का पार्श्वगायन कोई और गायक करता है, तो यह सभी को बताया भी जाता है, की पार्श्व गायक लता मंगेशकर, या मोहम्मद रफी जी है..........इस सूचना को लोगो से छुपा कर नही रखा जाता..........ठीक उसी प्रकार क्या Olympic में दर्शको को यह बताया गया की जो बच्ची गा रही है, वह आवाज़ उसकी नही है?? मैंने उद्घाटन समारोह देखा था, मुझे तो ऐसी कोई क्षण याद नही आता जिसमे इस सूचना को बताया गया हो........अतएव यह सच को न बताना, या सच छुपाना एक धोका ही है.
२. Olympic में मंच पे गाना कोई परीक्षा की घड़ी तो नही, परन्तु फ़िर, अगर कोई यह प्रर्दशित करता है, की मै इस वक्त मंच पे गा रहा हूँ, तो लोग यह मान कर चलते है की वह असली में उस वक्त गा रहा है..........उदहारण के तौर पर, अगर कोई माहान पार्श्व गायक भी मंच पर आ कर सिर्फ़ अपना मुह हिलाता है (Lip synchronizing), भले ही वो 'अपने' ही गाने पर मुह हिला रहा हो, तो भी वह धोका की श्रेणी में आता है..........ऐसी हालत में कई बार गायक को जूते चप्पल तक खाने पड़ते है.....दर्शको का तर्क यह होता है, की अगर रिकॉर्डिंग ही सुननी है, तो वो तो घर पर भी सुन सकते हैं, इतनी दूर आ कर और इतने पैसे खर्च करकर हम वोही रिकॉर्डिंग सुनने नही आए है...........अगर आप यह कह रहे हो की Live show है, तो कृपया Live गायें भी!........और यही तर्क पुनः Olympic show के प्रदर्शन पर भी लागु होता है............या तो आप असली प्रदर्शन करें, या कम से कम लोगो को इस बात की सूचना दे की यह रिकॉर्डिंग है, या असली गायक कोई और है............Olympic के प्रस्तुतकर्ताओ ने ऐसा कुछ भी नही किया...........मेरे दिमाग में 'धोके' के अलावा और कोई परिभाषा नही सूझता है इस कृत्य का.