मंगलवार, 19 अगस्त 2008

ओलंपिक के धोखे: भाग ४



कुछ लोग कह रहे हैं कि चीन की दो महिला जिमनास्ट खिलाड़ियों की असली उम्र छुपाई जा रही है। जिम्नास्टिक जैसे खेल में बेहद फुर्ती और शारीरिक लचीलापन चाहिए होता है। जैसे जैसे खिलाड़ी की उम्र बढती जाती है, जिम्नास्टिक के लिहाज़ से खेल में कमी आना स्वाभाविक है। अपने मैडल पक्के करने के लिए चीन ने दो नाबालिग़ कन्याओं को झूठे पासपोर्ट बनवाकर बालिग करार देते हुए ओलंपिक में उतारा है। चित्र में दिखाई गई दोनों लडकियां असल में १४ साल की ही हैं, जबकि उनके पासपोर्ट में उन्हें १६ साल का बताया गया है। ओलम्पिक में जिम्नास्टिक प्रतियोगियों की उम्र कम से कम १६ साल होनी चाहिए, उससे कम बर्दाश्त नहीं है।

इन चीनी लड़कियों को खेल के मैदान में उतारते देखते ही प्रतिद्वंदी टीम के कोच कह उठे कि ये तो बच्चियां लग रही हैं।

मैं आपको यह बता दूँ कि मुझे तो यह धोखा किसी भी कोण से नहीं लगता। आज १६ के न हुए, कल तो हो ही जायेंगे न? फिर १-२ साल इधर-उधर हो गया तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ा? आख़िर देश के सम्मान की बात है न! मेरी ख़ुद की उम्र स्कूल में ३ महीने बढाकर लिखवाई गई थी, ताकि मुझे दाखिला मिल सके। मेरे कई साथी हैं जिनकी उम्र स्कूल में कम लिखवाई गई थी ताकि उन्हें बाद में नौकरी के लिए दिक्कत न हो (शायद आपको पता ही होगा कि भारत सरकार में नौकरियों के लिए अधिकतम आयु सीमा ३५ वर्ष है - उससे बड़े हैं तो सरकार आपको नौकरी नहीं देगी। सिर्फ़ नेताओं को ही आज़ादी है कि १ दिन कि आयु से लेकर १००० साल की आयु तक कार्यभार संभल सकते हैं। ) यह सब धोखे थोड़े ही हैं। थोड़ा समय का फेर है, बस और क्या?

ओलंपिक के धोखे: भाग १ | भाग २ | भाग ३ | भाग४

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

हा हा .........जब तक चीनी कान पकड़ कर भव्य Olympic आयोजन करने की माफ़ी न मांग लेंगे, पशिम के लोगो को उनके नए नए धोके दीखते हे जायेंगे...... :)