मंगलवार, 19 अगस्त 2008

अमेरिका के भावी राष्ट्रपति अपने आप को दाल खाने वाला "देसी" बताते हैं

बराक ओबामा का नाम शायद ही किसी ने न सुना हो। वे अमेरिका के भावी राष्ट्रपति के तौर पर पेश किए जा रहे हैं। कल एक संगोष्ठी में उन्होनें अपने आप को परिभाषित करने के लिए हिन्दी के शब्द "देसी" का प्रयोग किया। उन्होंने कहा "Not only I think I'm a desi, but I am a desi" - मैं न सिर्फ़ सोचता हूँ कि मैं देसी हूँ, बल्कि मैं वास्तव में देसी ही हूँ। अमेरिका में देसी शब्द का इस्तेमाल वहाँ रहने वाले हिन्दुस्तानियों और पाकिस्तानियों के लिए किया जाता है।

ओबामा ने बताया कि कॉलेज में वह एक पाकिस्तानी छात्र के साथ एक ही कमरे में रहते थे। उन्होनें तड़के वाली दाल पकानी भी सीखी, और कुछ अन्य देसी पकवान भी पकाए। हालाँकि वे कहते हैं कि वे नान नहीं बना पाते, उसके लिए किसी और पर निर्भर रहना पड़ेगा।

ओबामा कहते हैं कि देसी लोग (जिनमें हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी दोनों शामिल हैं) बहुत मित्रतापूर्वक व्यवहार रखते हैं और इसीलिये उन्हें दक्षिण एशिया के लोगों से खासा लगाव है।




बराक ओबामा के बचपन के इस चित्र में उन्हें आप अपने पिता के साथ देख रहे हैं, जो मूल रूप से कीनिया से थे। कीनिया में लाखों भारतीय रहते हैं, और धनिया, चाय और सब्जी जैसे शब्द वहाँ रोज़मर्रा बोले जाते हैं।

इससे पहले भी ओबामा की जेब से हनुमान-सी दिखने वाली छोटी सी प्रतिमा मिली थी।



लेकिन ओबामा अपने आप को भारत-पाकिस्तान से क्यों जोड़ रहे हैं?

अमेरिका में रहने वाले भारतीय लोगों की कमाई ज़बरदस्त है। जहाँ अमेरिकी लोग साल में ३०-४० हज़ार डॉलर कमाते हैं, वहीं अमेरिका में भारतीय ८०-९० डॉलर (याने कि अमेरिकियों से दोगुना) कमाते हैं। अब लक्ष्मी के साक्षात् अवतारों से कौन बैर लेगा? वह भी अमेरिका जैसे पूंजीवादी देश में?

दूसरी ओर मुशर्रफ़ के जाने की ख़बरों के बीच अपने आप को पाकिस्तान से जुडा बताकर ओबामा पाकिस्तानियों का भी दिल जीतने की फिराक में हैं।

क्या यह मौकापरस्ती है? या फिर सच में एक दिल को खुश कर देने वाली ख़बर?

जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ, अब अमेरिकी नेताओं को पता चल गया है कि अगर उनकी राजनैतिक समस्याओं का हल कहीं है, तो वो भारत में ही है। वे भारतीय नेताओं से सीख ले रहे हैं। यहाँ तक कि अपने आप को अलग-अलग गुटों से जोड़कर उन समुदायों में वाहवाही और वोट बटोरना भी सीख गए हैं! वाह रे अमेरिका, इसीलिये तो तू इतनी तरक्की कर गया!

यार हमारे आडवाणी जी भी तो पाकिस्तान में पैदा हुए थे। वे क्यों नहीं पाकिस्तानियों को रिझाने लगते? क्यों नहीं कहते कि हिंदू-पाकी भाई भाई?

है न सोचने वाली बात?

स्रोत

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

ओबामा जी की राजनीती बेहद ही primitive है..........वो जिस राजनीती को भुनाने के प्रयास में है, हमारे यहाँ के तो उसपे PhD कर चुके है.......एक चतुर राजनेता वह होता है, जो लंबे समय तक एक ही मुखौटा पहन कर रख सकता है..........अफ़सोस ओबामा जी में इतना चातुर्य नही है..........कुछ महीनो पहले तक ही जब प्राथमिक चुनाव चल रहे रहे थे, तब लोगो को याद होगा की ओबामा जी Americans के बोहत बड़े हितैषी बने हुए थे, और उन्होने Outsourcing का जम कर विरोध किया था... (बताने की ज़रूरत नही की Outsourcing की समसे बड़ी रोटी कौन सा देश खाता है?).........दुसरे उन्होंने श्रीमती Hillary जी पर भारतियों से सम्बन्ध रखने और उनके पैसे को अपने चुनाव प्रचार में लगाने के लिए खूब निशाना साधा था........अचानक उनका 'देसी' प्रेम जागने लगा है?? ख़ुद को दाल खाने वाला प्राणी बता कर, और Kenya में अपनी जड़ो को तलाशता दिखा कर ख़ुद को भारतियों का मौसेरा भाई सिद्ध करने पे लगे हुए है.......हमारे यहाँ के पांचवी का बच्चा भी इस मुर्खतापूर्ण हरकत पर हसेगा..........

Smart Indian ने कहा…

पाकिस्तानियों को लुभाने के चक्कर में ही तो अडवानी जी देश के टुकड़े करने वाले जिन्नाह की तारीफ़ के पुल बाँध कर आए थे.

Anil Pusadkar ने कहा…

ek baat zaroor hai ye deshi shabd ka arth hi badal chuka hai,bharat me bhi iska sabse jyada upyog sharab-bhatti ya theke waale kar rahe hai,deshi ghee se kai guna jyada deshi daaru ki dukaan mil jayengi,aise me koi deshi hone ka daava kare ya dhong ?kya fark padta hai.sabse purane deshbhakti ke thekedaar congressi bhi ab sevadal ke sir se deshi taaz,gandhi topi utaar kar angrezi topi pehan rahe hain.khair jaane dijiye wo jhoot hi sahi deshi hone ka to dum bhar raha hai,yahan to desh me reh kar pardesh,pakistaan ki jeet par pathaake phodte hain mithaai bantate hai aur........... lambi kahani hai,accha likha aapne,accha sawaal.badhai

Udan Tashtari ने कहा…

सही है--चुनाव जीतने की ख्वाइश में ही सही!!