बुधवार, 20 अगस्त 2008

जापानियों की प्रगति का राज़



द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर दो परमाणु बम गिराए गए थे जिसकी वजह से लाखों लोग मारे गए। जो जिंदा बचे, उन्हें घोर दुष्परिणाम भुगतने पड़े। जापान पर अमेरिकी सेना ने कब्ज़ा करके उनके संविधान को दोबारा लिखा - उसमें जापान को सेना बनने की अनुमति नहीं थी। उसके बाद करीब १ लाख अमेरिकी सैनिक जापान के कुछ द्वीपों पर सैनिक साजोसामान के साथ छोड़ दिए गए, और अमेरिका जापान से निकल गया।

किसी देश के लिए इससे बुरी और शर्मनाक हार नहीं हो सकती थी। जान का नुकसान, माल का नुकसान, परमाणु बम गिराया गया, प्रतिष्ठा हताहत हुई, सब कुछ ही लुट गया।

किसी अन्य देश में यदि ऐसा होता, तो वह पूरी तरह बर्बाद हो जाता। जैसे इराक को देखिये, वियतनाम को देखिये, अफगानिस्तान को देखिये। इन सभी देशों में अमेरिकी सेना का कहर बरपा और ये बर्बाद हो चुके देश हैं।

लेकिन जापानियों में ऐसा क्या था कि उन्होनें फिर से अपने टूटे देश को बना लिया, और एशिया के एकमात्र विक्सित देश के रूप में उठ खड़े हुए? वह भी बिना किसी सैनिक शक्ति के! मैं अपने कुछ जापानी मित्रों के साथ गुफ्तगू करता हूँ तो उनकी बातों से इस सवाल का जवाब मिला।

जापान अपने आपको टूटने के बाद इतनी ऊंचाई पर यदि खड़ा कर पाया है तो वह सिर्फ़ देशभक्ति की वजह से। मैंने पूछा की देशभक्ति की परिभाषा क्या है? मेरे जापानी मित्र ने बताया एक पाठ जो उनको स्कूलों में पढाया जाता है। गौर फरमायें:

पाठ १: बच्चो, बुद्ध हमारे भगवान हैं। उनके द्वारा दिखाए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर ही चलो। बुद्ध से ऊपर न कुछ है, न कुछ होगा।
पाठ २: प्रश्न: यदि भगवान बुद्ध तुमसे कहें कि वे तुम्हारे देश पर हमला करने वाले हैं, तो तुम क्या करोगे?
उत्तर: मैं भगवान बुद्ध को जान से मार दूँगा।

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सही है!

Ila's world, in and out ने कहा…

वाजिब बात है जी.हमें जापानियों से बहुत कुछ सीखना है.

Anil Pusadkar ने कहा…

hona bhi yehi chahiye.desh se uper ya bada kuch nahi hota.durbhagya ki baat hai yahaan sabse pehle khud fir rishtedaar,fir dost-yaar aur list lanbi hoti jaati hai magar usme d for desh nazar hi nahi aata.achhi post.aabhar

अवाम ने कहा…

anil ji deshbhakti ke bina koi bhi desh khada hi nhi ho sakta hai. kisi desh ko mahan us desh ke nagrik hi banate hai. jhan tak bharat ki bat hai yahan bhi desh bhakt hai par ab desh me waisi paristhiyan hi nhi ki desh bhakti dikhayi ja sake. par ham itna to kar hi sakte hai ki apne or pariwar ke sath-sath thoda samay apne desh or samaj ko bhi. inake liye bhi kuch kam kare. tabhi hamara desh bhi viksit ban payega..

संगीता पुरी ने कहा…

जापान अपने आपको टूटने के बाद इतनी ऊंचाई पर यदि खड़ा कर पाया है तो वह सिर्फ़ देशभक्ति की वजह से। सही कहा।