सोमवार, 18 अगस्त 2008

व्यंग्य: कौन है मीडिया?



बच्चो आज की कक्षा में हम आपको बतलायेंगे कि ये मीडिया क्या होता है।

एक लैटिन शब्द है "media" जिसका मतलब है "बीच का"।

अरे ऐ श्यामू, ये दांत निपोरकर हंस क्यों रहा है? मुझे पता है तेरे दिमाग में "बीच का" सुनकर हिजड़ा आया होगा और तू हंस पड़ा। चल हँसना बंद कर।

हाँ तो मैंने कहा कि मीडिया का मतलब बीच का। अर्थात एक जगह से दूसरी जगह जो कुछ पहुंचाए, वह है मीडिया। मध्यस्थ भी समझ सकते हैं इसको। बिचौलिया भी है एक नाम हो सकता है इसका।

लेकिन लैटिन से अंग्रेज़ी में, और अंग्रेज़ी से हिन्दी में ये शब्द कब घुस आया, इसका पता ही नहीं चला। आजकल मीडिया का मतलब माना जाने लगा है एक ऐसा तंत्र जो सनसनी फैलाकर पैसा कमाए। कई तरह का मीडिया होता है - जैसे कि जो कागज़ पर छपे, वह "प्रिंट मीडिया"; जो टीवी और रेडियो पर बजे, वह "इलेक्ट्रॉनिक मीडिया"। मीडिया में काम करने वाले आदमी को पत्रकार कहा जाता है, और इसमें काम करने वाली औरत को शायद पत्रकारिणी कहते हैं। असल में मैंने पत्रकारिणी शब्द कभी प्रयोग में नहीं सुना, आठवीं कक्षा की पढ़ी संस्कृत के व्याकरणज्ञान के बलबूते यह शब्द बोलने का साहस कर रहा हूँ।

लेकिन यह सब तो किताबी बातें हैं। असली सवाल यह है कि "कौन है मीडिया"?

पहले आपको कुछ उदहारण देता हूँ ऐसे लोगों के जो मीडिया की परिभाषा में आते हैं:
  1. समाचारपत्र और उसमें खबरें देने-छापने वाले लोग
  2. रेडियो, टीवी और उसमें खबरें देने-छापने वाले लोग
  3. सभी चिट्ठाकार भाई-बहन और नपुंसक
  4. अंतर्जाल पर सूचना से भरी कोई भी वेबसाइट
  5. मेरा मित्र, जिसने मुझे SMS करके अखिल के हारने की ब्रेकिंग न्यूज़ भेजी
  6. पास-पड़ोस की औरतें, जिन्होनें शर्मा जी की बेटी के घर छोड़कर प्रेमी के साथ भागने की ख़बर को प्रचारित किया
  7. मेरा वह मित्र जो मुझे रोजाना २० ईमेल फॉरवर्ड करता है (और मैं उनमें से १० को आगे फॉरवर्ड करता हूँ)
  8. मैं, बतौर डॉक्टर जब एक मरीज़ को मेडिकल शोध पढ़कर सलाह देता हूँ कि बाबा सुट्टे पीना छोड़ दे, नहीं तो फेफड़े गल जायेंगे
मेरे ख्याल से मीडिया और अमीडिया में कुछ ही ख़ास फर्क होते हैं। आप कहेंगे, लो कल्लो बात! एक और नया शब्द घुसेड़ दिया हिन्दी में! "अमीडिया"! अमां यार कहने तो दो। हाँ तो मैं बतला रहा था कि मीडिया के लक्षण क्या होते हैं :
  1. पहला ये कि मीडिया निष्पक्ष होता है, और अपना दिमाग लगाये बिना आपको जस-की-तस ख़बर सुनाता है। जैसे कि आरुषि हत्याकांड में सुनाई थी।
  2. दूसरा ये कि मीडिया हमेशा सच बोलता है, कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेता। जैसे कि चीन देश में छपने वाले अख़बार।
  3. तीसरा यह कि मीडिया सभी लोगों को एक नज़र से देखता है। जैसे कि आम आदमी मरते रहते हैं लेकिन ख़बर फ्रंट पेज पर नहीं छपती, लेकिन नैना सहनी, जेसिका लाल या आरुषि की ख़बर हमेशा फ्रंट पेज पर ही रही है - मौत के कई सालों बाद तक भी।
  4. चौथा यह कि मीडिया अपने पैसों का जुगाड़ ख़ुद करता है, न कि अन्य स्रोतों से। जैसे कि राजनैतिक पार्टियां मीडिया कंपनियों में पैसा निवेश करती हैं ताकि अख़बार में उनका ही डंका बजे।
  5. पांचवा लक्षण यह है इस मीडिया का कि यह मामूली ख़बरों को पीछे रखते हुए जनहित की महत्वपूर्ण ख़बरों को आगे रखता है। जैसे कि आजतक वाले आजकल बन्दर-मदारी का खेल दिखाते हैं, और बिल्ली के छज्जे पर चढ़ने को भी ख़बर बना डालते हैं।


तो बच्चो, आज आपने जाना कि हिन्दुस्तान में मीडिया किसे कहते हैं, और इसके क्या लक्षण हैं। बस अब बहुत हो गया। सर में दर्द हो गया है मीडिया-मीडिया करते-करते। बाकी आप ख़ुद ही समझदार हैं। अब अगली क्लास तक छुट्टी!

टन टन टन!

8 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सर, समझ गये हिन्दुस्तान में मीडिया क्या होता है और उसके क्या लक्षण हैं. होमवर्क तो कुछ दिये नहीं हैं...अगली बार क्या पढ़ायेंगे??

Arvind Mishra ने कहा…

मीडिया भाष्य रोचक लगा !

Anil Pusadkar ने कहा…

sab kuch sach-sach kehna zaruri tha kya?bahut badhiya likha,badhia

रवि रतलामी ने कहा…

;) बढ़िया.
आपसे आग्रह है कि बाजू पट्टी में आर्काइव (पुरानी पोस्टों का)का विजेट लगाएं. पाठकों को पुराने पोस्टों पर जाने में सुविधा होती है.

pallavi trivedi ने कहा…

waah..bahut rochak satya..

डा० अमर कुमार ने कहा…

.


नपुंसक ..कौन है, भाई ?

Anil Kumar ने कहा…

अमर जी, नपुंसकों पर तो चिट्ठाकारों द्वारा बहुत बड़े-बड़े अध्याय लिखे जा चुके हैं. हाल ही में कुछ बड़ी बहस भी हुई थी, जिसमें पूरे देश को ही नपुंसक बताया गया था. खैर छोडिये. मैंने सोचा कि यदि सिर्फ़ भाइयों और बहनों लिखा तो नपुंसक बेचारे मुझपर तोहमत लगायेंगे, कि अल्पसंख्यकों को याद नहीं किया. बस सिर्फ़ यही कारण है नपुंसकों को लिखने का.

Ila's world, in and out ने कहा…

मीडि्या पर क्लास में मज़ा आया,अब किस विषय पर कलास लेंगे अनिल सर?