रविवार, 30 नवंबर 2008

गली के कुत्ते को भी परेशान करोगे तो ...



एक बार मेरे नानाजी दो आदमियों का झगड़ा सुलझा रहे थे। उन दोनों में कुछ कहासुनी हो गयी और दोनों ने एक-दूसरे को खूब पीटा। फिर परिवारजनों के कहने पर मेरे नानाजी के पास झगड़ा सुलझाने पहुंचे। जिसने झगड़ा शुरू किया था, उसका कहना था कि उसको उकसाया गया था। दूसरा आदमी कह रहा था कि उसने तो सिर्फ अपशब्द कहे थे, उनका जवाब अपशब्दों से ही दिया जाना चाहिये था। मेरे नानाजी ने अपशब्द कहने वाले व्यक्ति को दोषी ठहराया और उसे ऐसा न करने की सलाह दी। मैं उस समय ९-१० साल का था, और वहाँ पर मेरे नानाजी ने एक ऐसा वाक्य कहा था जो मुझे आज तक याद है।

"यदि गली के कुत्ते को भी परेशान करोगे, तो आज नहीं तो कल वह काट ही लेगा"

पाकिस्तान भारत को ६० साल से परेशान कर रहा है। लेकिन अफसोस है कि हमारी हालत गली के कुत्ते से भी बदतर हो चुकी है। हम कब काटेंगे पाकिस्तान को?


भगवान राम की पत्नी सीता को रावण ले गया। राम ने उसका हजारों मील तक पीछा किया, बेघर होने के बावजूद सेना जुटाई, हमला किया और सीता को वापस पाया। पाकिस्तान हमारी इज्जत रोज़-रोज़ लूटता है, कहाँ गयी राम द्वारा सिखायी वीरता?


दुर्योधन और उसके साथियों ने पांडवों का राजपाट छल से छीन लिया। अन्याय से लड़ने के लिये पांडवों ने महाभारत के युद्ध की चुनौती स्वीकार की, और अपार सैन्यक्षमता वाले कौरवों को हराया। कहां गया वह अर्जुन का गाँडीव?

देश ऐसे नाजुक क्षण से गुज़र रहा है, और लोग ब्लॉगियाकर अपना गुस्सा कम कर रहे हैं। क्यों नहीं हम सड़कों पर उतरकर आंदोलन शुरू कर देते?
नेता नपुंसक हैं, जनता तो नहीं?

करोड़ों लोगों की भीड़ जब सड़कों पर उतरकर राजनेताओं से जवाब मांगेगी तो अच्छे-अच्छों की खाट खड़ी हो लेगी। और आज हमें इसी की ज़रूरत है। चलो अर्जुन, गांडीव उठाओ - कर्म करो और फल की चिंता मत करो!

अब मुझे टिप्पणी नहीं, आंदोलन चाहिये।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बिल्कुल सही कहा..मैं आपके साथ आंदोलन में शामिल हूँ.

सौरभ कुदेशिया ने कहा…

main bhi sath hu aapke