फिर ध्यान आया, कि ऐसे काम कोई महिला नहीं करेगी। शायद इन्हीं कामों को "जुगाड़ टेक्नोलॉजी" कहते हैं। फिर मैंने और मेरे दोस्तों ने ऐसे काम पहले भी किए हुए हैं। उदहारण के लिए:
- चीनी ख़त्म है तो चाय में वनिला आइस क्रीम डाल ली
- चाय बहुत गरम है तो ठंडी करने के लिए बरफ का एक टुकड़ा डाल लिया
- सफ़ेद कपडों की धुलाई के लिए नील नहीं है तो नीली स्याही डाल ली
- एसी नहीं चल रहा है तो टेबल फैन के आगे बर्फ रखके ठंडी हवा का आनंद लिया
- तड़के में डालने के लिए टमाटर नहीं है तो केचप डाल लिया
- नहाने का साबुन ख़त्म है तो कपड़े धोने के साबुन से ही नहा लिए
- इस्तरी काम नहीं कर रही तो कटोरी को गरम करके कपड़े प्रेस किए
- सर्दियों में क्रीम ख़त्म हो जाने पर सरसों का तेल ही होंठों पर लगा लिया
वाह रे जुगाड़ टेक्नोलॉजी, तेरी जय हो!
10 टिप्पणियां:
जय जुगाड़!!
बहुत अच्छे बीकर में चाय पी ली हम भी ट्राय करेंगे!
आजकल जीने के लिए भी जुगाड़ की ही ज़रूरत है. आभार.
आपके फॉंट्स को ठीक करें.
जीना इसी का नाम है........
ऐसी बातें पढ-पढ कर बावरा मन फिर किसी होस्टल में भर्ती होने को फडफडाने लगता है । हमें बेसुध मत कीजिए, अपने आप में ही रहने दीजिए ।
अनिल जी,
अन्यथा ना लिजियेगा। घोर मुफलिसी में मजबूरी जुगाड़ का नाम हो जाता है। इन मजबूरियों का जिक्र यहां उचित नहीं होगा, क्योंकि आपने अलग परिवेश और हल्के मूड में यह पोस्ट लिखी है।
सुब्रह्मणियम जी, फौंट ठीक कर लिये गये हैं, चेताने के लिये शुक्रिया! बैरागी जी, यदि भर्ती होने के लिये होस्टल ना मिले तो कुछ दिन मेरे पास आकर रह जाईये! :) "अलग सा" जी, आपने हमेशा की ही तरह कुछ अलग दृष्टिकोण से देखने की कोशिश की है, इसके लिये आपका आभार! आशा है सबको १ मिनट मुस्कुराने को मिला!
जुगाड़ जिन्दाबाद!
JAI HO! JUGAD TECHNOLOGY.
लड़कियाँ और स्त्रियाँ भी ऐसे जुगाड़ प्रायः उपयोग करती हैं। मैंने तो बहुत बार किए हैं।
घुघूती बासूती
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