शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008

एक देश जहाँ चिट्ठाकारों को सरकारी पैसा मिलता है



चीन में सिर्फ़ एक ही राजनैतिक पार्टी है - कम्युनिस्ट पार्टी। सिर्फ़ एक पार्टी होने से वहाँ खासा भ्रष्टाचार है, और कई लोग इससे क्षुब्ध हैं। २० साल पहले ये क्षुब्ध लोग अपनी कहानी किसी से नहीं कह सकते थे। लेकिन आजकल अंतरजाल पर चिट्ठों के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान धड़ल्ले से चल रहा है। क्योंकि कलियुग में "इमेज" का बहुत महत्त्व है, ऐसे में कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अपनी छवि सुधारना बहुत ज़रूरी है।

कम्युनिस्ट पार्टी ने चिट्ठाकारों को सरकार के समर्थन में लिखने के लिए पैसे देने का कार्यक्रम चला रखा है। तकरीबन तीन लाख चिट्ठाकार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चलाये गए इस कार्यक्रम के अंतर्गत काम कर रहे हैं। इसे "वू माओ दंग" कार्यक्रम कहा जाता है।

इन चिट्ठाकारों की फौज का काम है अंतरजाल पर प्रचलित वेब्साइटों पर जाकर लेख पढ़ना, और उनपर कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन में टिप्पणियां करना और कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन में लेख लिखना।

यदि कहीं पर किसी व्यक्ति ने सरकार के विरोध में आपत्तिजनक पोस्ट लिखी है तो ये सरकारी चिट्ठाकार उसकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करते हैं, और आरोपी चिट्ठाकार को गिरफ्तार कर लिया जाता है। आपत्तिजनक पोस्ट को तुंरत मिटा भी दिया जाता है। गौरतलब रहे कि अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए विश्व में सबसे अधिक गिरफ्तारियां चिट्ठाकारों की ही होती हैं। चीन में चिट्ठाकारों की गिरफ्तारियों की रिपोर्ट पढने के लिए यहाँ चटकाएं

उदाहरण के लिए चीन में सरकार के खिलाफ हुए दंगों का किसी ने विडियो अंतर्जाल पर पोस्ट कर दिया। विडियो अमेरिकी वेबसाइट "यू ट्यूब" पर था, इसलिए हटाया नहीं जा सकता था। विडियो पोस्ट होते ही "वू माओ दंग" तुंरत हरकत में आया और विडियो पर सरकार के समर्थन में टिप्पणियां शुरू हो गई। विडियो यहाँ देखें। पृष्ठ के अंग्रेज़ी अनुवाद के लिए यहाँ चटकाएं

दूसरी ओर भारत में विचारों की अभिव्यक्ति की खुली छूट है। निकम्मे "सिस्टम" की वजह से मुंबई पर हमला हुआ, लाखों लोगों ने सड़कों पर उतरकर न सिर्फ़ हमले की निंदा की, अपितु सरकार और "सिस्टम" के विरोध में प्रदर्शन भी किए। लेकिन इन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार नहीं किया गया। बल्कि राजनैतिक स्तर पर देश को सुधारने की पहल चलायी गई।

इसीलिये मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूँ।

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

इसलिए हम दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र है!!

ab inconvenienti ने कहा…

पर कुछ बड़े लोग ख़ुद तक खतरा आया देख अब मांग करने लगे हैं की सौंप दो देश सेना को. पर मेरे ख्याल से जनता से आए लोगों का शासन लाख घटिया सही, मार्शल ला से तो बेहतर ही है, वरना चीन, पाकिस्तान, मयन्मार जैसे पड़ोसियों की हालत हम देख ही रहे हैं.

ghughutibasuti ने कहा…

सही कह रहे हैं । मुझे भी गर्व है ।
घुघूती बासूती

विवेक सिंह ने कहा…

अनिल जी ! बेहतरीन जानकारी का आभार !

रंजू भाटिया ने कहा…

बढ़िया जानकारी है

Unknown ने कहा…

कम्युनिस्ट देश में ऐसा होना सामान्य है. भारत एक प्रजातांत्रिक देश है, यहाँ इसे एक असामान्य घटना माना जायेगा. पर यहाँ भी एक बार ऐसा हुआ था, जब इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, जीने का अधिकार भी छीन लिया गया था. बैसे लेखन पर अक्सर छोटी-मोटी पाबंदियां तो लगती रहती हें. अगर आप लोगों को याद हो तो भारत में भी एक बार ब्लाग्स पर पाबंदी लगा दी गई थी.