महात्मा गाँधी ने कहा था "सफाई में ही भगवान का निवास है"। भई जब महात्मा ने कहा था तो कुछ सोच समझ कर ही कहा होगा। कई सालों से मुझे पता नहीं चल रहा था कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा। लेकिन आज पता चल गया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा राज्य में सत्तर प्रतिशत घरों में टीवी है। लेकिन सिर्फ चालीस प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। आजकल की तेज-रफ्तार जिंदगी के झंझटों से निजात पाने के लिये लोगों के लिये मनोरंजन इतना महत्तवपूर्ण बन गया है कि वे अपनी आधारभूत जरूरतों पर ध्यान न देते हुये सिर्फ मनोरंजन के पीछे लगे हुये हैं। मलत्याग मुर्दाबाद, झंझटत्याग जिंदाबाद!
सुबह-सुबह खुले में जाकर पैखाना करो, और फिर शान से बैठकर घर में टीवी देखो! वाह क्या जिंदगी है!
कभी विज्ञान की पुस्तक में पढा था कि खाद्यश्रृंखला में सबसे ऊपर होने के कारण मनुष्य का मल अत्यंत जहरीला होता है, और इसे खुले में कभी नहीं फेंकना चाहिये। हजारों साल पहले हमारे पुरखों ने हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो में सफाई के लिये इतनी विकसित निकास-प्रणाली बनायी थी। उन्हें क्या पागल कुत्ते ने काटा था? क्यों बनायी नालियाँ? मल को खुला भी तो बहा सकते थे।
ऐसे में हरियाणवी महिलाओं का प्रण कि शादी उसी घर में करेंगी जिसमें शौचालय होगा, बहुत ही काबिलेतारीफ है।
आज यदि हम सिर्फ उतना ही कर सकें जितना हमारे पुरखों ने हजारों साल पहले किया था तो ये अमेरिका-इंगलैंड क्या चीज हैं? यहीं स्वर्ग बन जायेगा।
4 टिप्पणियां:
well said anil jee.
बात पत्ते की है." जिस घर में सौचालय नहीं, वहां बेटी नहीं बयानी " का नारा बिलकुल ठीक है.
अच्छा लिखा है ... बढिया नारा है हरियाणवी बेटियों का ... शायद इसी से स्थिति सुधरे।
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