पिछले हफ्ते एक महिला से बात हो रही थी, जिसे यह शिकायत थी कि उसके पति उससे बात नहीं करते. उसने उदाहरण दिया कि हाल ही में वे अपने बच्चों समेत कहीं घूमने गये थे. उनके पतिदेव ने दो घंटे तक गाडी चलाई, लेकिन उन दो घंटों में अपनी बीवी से एक शब्द तक नहीं बोला, और पूरी यात्रा "मूक" ही बीत गयी.
मैंने पूछा "क्या आपके पति हमेशा से ही ऐसे थे?". जवाब था, "नहीं, पहले तो ये बातें करते थे, मजाक भी करते थे. लेकिन जैसे-जैसे हमारी शादी को वक्त बीतता गया, वैसे-वैसे इनकी मुझसे बोलचाल बंद होती चली गयी". पेशे से डाक्टर होने के नाते मेरे पास ऐसे कई केस आते हैं जो मेरे लिये अति रोचक होते हैं, ये उनमें से एक था.
उसने बताया कि उसकी शादी हुए दस साल हो गये हैं, और पिछले २-३ सालों में उसके पति ने उससे बात करना बिलकुल बंद कर दिया है. पहले "हूँ-हाँ" कर देते थे, लेकिन आजकल वो भी बंद हो चुका है. अगले पंद्रह मिनट में मुझे यह पता लगाना था कि आखिर यह हुआ क्यों.
शुरुआत में जब एक आदमी और एक औरत करीब आते हैं, तो बहुत सी बातें होती हैं बतियाने के लिये. धीरे-धीरे जब वे एक दूसरे के आदी हो जाते हैं, तो कोई बात बुरी भी लगने लगती है. जब एक व्यक्ति कि कही गयी बात दूसरे को बुरी लगती है, और उसपर गुस्सा प्रकट किया जाता है, तो वह व्यक्ति ऐसी बात अगली बार नहीं कहता है. आखिर बातचीत में सामने वाले को गुस्सा दिलाने वाली बात किसे पसंद है.
तो भई धीरे-धीरे इस महिला ने अपने पति की कई बातों पर गुस्सा प्रकट किया, और मियाँ जी धीरे-धीरे कम बोलते गये, ताकि बीवी को गुस्सा न आये. और अब यही कारण है कि मियाँ जी की बोलती ही बंद हो चुकी है.
जब इस बात को मैंने उस महिला को एक शालीन तरीके से समझाया, तो वो रो पडी. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जिसे वह इतनी बडी बात समझ रही थी, उसका कारण इतना छोटा-सा है.
तो मेरी सलाह यही रही कि उस महिला को अपने पति कि कोई बात यदि बुरी लगे, तो उसे साफ कहे कि वो बात उसे पसंद नहीं आयी. यदि कोई औरत लंबी साँस भरकर मुँह बनाती है, तो आदमी को कभी समझ में नहीं आता कि आखिर माजरा क्या है. इसलिये "कहना" बहुत जरूरी है. "ऐजी, आपकी कही यह बात मुझे अच्छी नहीं लगी" कहना सीखें.
आपस में बात करना किसी भी रिश्ते के पनपने के लिये बहुत जरूरी है, चाहे वह बाप-बेटे का हो, या फिर मियाँ-बीवी का. कई बार हम अपने विचारों को अपनी शारीरिक भंगिमाओं से प्रकट करते हैं (जैसे कि गुस्सा आने पर मुँह बनाना इत्यादि), लेकिन जरूरी नहीं कि सामने वाला आपकी भंगिमाओं को सही-सही समझ पाये. इसलिये जीभ का इस्तेमाल करते हुए साफ-साफ कहें.
उस औरत का पिछले एक हफ्ते में बहुत भला हुआ है, आपका भी होगा.
10 टिप्पणियां:
Aapke sawaal aur jawaab , dono isi post mein hain. Aapne yeh bataya ki aurat ko kya karna chahiya, lekin purush ko kya karna chahiye, is pe thoda prakash dalein.
बहुत बढिया आलेख, आभार!
ghar ghar ki yahi kahani, rota raaja, roti rani
ऐ जी, ओ जी - हाँ जी - ना जी
बढिया पोस्ट.
सही सलाह !
hmmmm...bilkul sach aur sahi baat ....kahani hi chahiye har baar...
आप सही कह रहे हैं. मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा है.
श्रुति जी, पुरुष को भी वही करना चाहिये - कोई बात पसंद न आने पर उसे अपनी बीवी को बता देना चाहिये। आपस में तालमेल तभी बनेगा जब एक दूसरे से communication अच्छा होगा।
यह बात सिर्फ पति पत्नी के ही नहीं - जीवन के हर रिश्ते में लागू होती है |
पति पत्नी के केस में तो इंसान फिर भी परिवार / मित्र / मनोविशेषज्ञ आदि से बातचीत कर के स्थिति सुधारने का प्रयास करता है - किन्तु मित्रता के रिश्तों में तो रिश्ता अक्सर ख़त्म ही हो जाता है ऐसी बातों से | क्योंकि जब एक पक्ष दुसरे की खामियां निकले और दूसरा पक्ष चुप रहने लगे, तो पति पत्नी के केस में तो इंसान problem जानने के प्रयास करेगा किन्तु " सिर्फ मित्रता " भर हो - तो वह भी नहीं होगा |
हे पुरुषोत्तम गुरु! थोड़ा ज्ञान इधर भी प्रकाशित किजीये.....अपनी भक्ति-शक्ति कछु दीजे...:)....बीवियों को राह दिखाने वाले हे नरोत्तम! कुछ ज्ञान भारतवर्ष के लिए भी बचा कर रखिये....इसे विश्व मंच पर व्यर्थ मत गवाईये...
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