नौकरीपेशा लोग हमेशा अपनी तनख्वाह बढ़ने के इंतज़ार में रहते हैं. लेकिन आजकल सरकारी नौकरी जैसे जैसे विलुप्त हो रही है, निजी नौकरियों में तनख्वाह की बढ़ोतरी के तरीके को समझना ज़रूरी हो गया है.
सरकारी नौकरी में जितने साल काम करोगे, उतनी तनख्वाह बढ़ेगी. अधिकांश सरकारी नौकरियों में कुछ साल काम करने पे तयशुदा बढ़त मिलती है. लेकिन निजी नौकरियों में ऐसा चलन कम ही देखने को मिलता है.
दर्जनों लोगों से बात करने के बाद मुझे लगता है की निजी नौकरी में तनख्वाह की अधिकांश बढ़त पाने के दो ही तरीके हैं.
एक तरीका है कि आप एक ही कंपनी में आजीवन काम करिये. ३०-४० साल काम करने के बाद आप उस नौकरी में बहुत लोगों से जान पहचान बना सकते हैं. और बहुत से लोगों का काम सीखकर अपनी कर्म-कौशल बढ़ा सकते हैं. फिर आखिरी में कंपनी अक्सर आपकी लम्बी नौकरी को ईनाम देगी. हालाँकि इसकी कोई गारंटी नहीं, लेकिन ऐसा अक्सर हो सकता है. इस तरीके का नुकसान ये है कि आपको कई साल दबकर रहना पड़ता है. और कई साल तक कम तनख्वाह पर काम करना पड़ता है. और अगर इस लम्बे समय में यदि आपपर कोई कीचड उछाल दे, तो आप गए काम से.
दूसरा तरीका ये है कि निजी नौकरी में आप हर तीन-चार साल में कंपनी बदलें. जब भी कंपनी बदलेंगे, तो आपको बढ़ी हुयी तनख्वाह मिलने के आसार अच्छे होते हैं. और १०-२० साल यह बदला-बदली करने के बाद अगर आपको कोई बहुत अच्छी कंपनी मिल जाये जहां लोग आपकी कदर करें और आपको समझें, तो वहीं आप बाकी ज़िन्दगी काम कर सकते हैं.
मुझे दूसरा तरीका अच्छा लगा. इसमें जोखिम कम है, बढ़त जल्दी होती है, और आपके पास फिर भी बहुत समय होता है कि अपनी आखिरी कंपनी में कई दशक टिककर बड़ी तरक्की करने का भी मौका मिल सकता है.
2 टिप्पणियां:
बढ़िया, पर कोई देने वाला भी तो हो ! लियाकत की खबर तो पहले से डेरा जमाए बैठ लेगी :-)
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