रविवार, 13 जुलाई 2008

एक ऐसी बिरादरी जो हिंदू है और मुस्लमान भी

आज सुबह सुबह मैंने BBC पर एक ख़बर पढ़ी। राजस्थान के अजमेर जिले में कुछ हिंदू परिवार रहते हैं जो कुछ मुस्लिम रीतियों का पालन करते हैं। अपने आप को पृथ्वीराज चौहान का वंशज बताने वाले ये १० लाख से भी ज़्यादा लोग वैसे तो हिंदू हैं, लेकिन इनके रीति रिवाजों में कुछ "मुस्लिमता" भी देखी जा सकती है।

६० साल की दीपा एक हिंदू नाम धारण किए हुए है , लेकिन वह सारी मुस्लिम परम्पराएं मानती हैं। वह होली दीपावली भी मनाती है, और ईद भी। वह हिंदू भगवानों की मूर्तिपूजा भी करती है और रोजाना नमाज़ भी अदा करती है। उसका कहना है की हालाँकि उसे ये नहीं मालूम कि उसके पुरखे हिंदू थे या मुस्लिम, लेकिन पारिवारिक परम्परा के चलते वह यह सब कुछ करती है।

वहीं के रहने वाले महेंद्र सिंह का कहना है कि उसे कोई फर्क नही पड़ता कि वह हिंदू है या मुस्लिम है - उसका कहना है कि ये तो सिर्फ़ राजनैतिक चोंचले हैं।

कुछ ही दूर एक चाय कि दूकान चलने वाले रसूल का कहना है कि उसके पुरखे हिंदू थे, लेकिन वे कब मुसलमान बन गए, वह नहीं जानता। रसूल कहते हैं कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे हिंदू हैं या मुस्लिम। रसूल के बेटे का नाम शंकर है।

लेकिन यह सब शुरू कैसे हुआ? इन परिवारों के वंशजो ने कुछ मुस्लिम रीति रिवाज अपनाने की कसम खाई थी। सैकडों वर्षों तक वे इस प्रतिज्ञा का पालन करते रहे हैं, लेकिन आजकल की बढती साम्प्रदायिकता ने इनमें से कुछ को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। भारत में हिंदू धर्म के ठेकेदारों तक ये ख़बर पहुँच गई है, और विश्व हिंदू परिषद् ने पहले ही कहा दिया है कि वह इन लोगों को अपनी असली धार्मिक पहचान याद करा कर रहेगी। विश्व हिंदू परिषद् के नितेश गोयल कहते हैं कि ये लोग पृथ्वीराज चौहान के हिंदू वंशज हैं, और उन्होनें इन सबको वापस हिंदू बनने का ठेका ले लिया है। "घर वापसी" नामक एक कार्यक्रम भी चला दिया है। नितेश गोयल आगे कहते हैं कि उन्होनें किसी को भी जबरन धर्म परिवर्तन नहीं करवाया है, बल्कि ये लोग ख़ुद ही उनके पास "मदद" के लिए आगे आ रहे हैं।

इसी इलाके के निवासी सलीम इंजिनियर कहते हैं कि विश्व हिंदू परिषद् उनके घरों में नफरत का बीज बो रही है। सलीम अपने इलाके में मुस्लिम तालीम देने कि वकालत करते हैं। उनका कहना है कि भारत सरकार मुस्लिम तालीम को नज़रंदाज़ कर रही है, ऐसे में उनका फ़र्ज़ बनता है कि वो मुस्लिम तालीम को आगे बढाएं।

६५ साल कि शांता की भी सुनिए। उसके बहुत से रिश्तेदार मुस्लिम हैं। लेकिन उनके परिवार के एक सदस्य विश्व हिंदू परिषद् से प्रभावित हैं। इसलिए उनके डर से वे अपने मुस्लिम रिश्तेदारों से मिलने से कतराती हैं। शांता के बेटे ने कहा है कि उनकी बिरादरी में धर्म को लेकर बहुत उलझनें हैं जो उन्हें समझ में नहीं आती हैं। शांता ने अपने बेटे से कहा रखा है कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी चिता को आग लगाया जाए, न कि दफनाया जाए। ऐसा करने से उनके और उनके मुस्लिम रिश्तारों के बीच बढती दीवार और चौड़ी हो जायेगी। शांता आगे कहती हैं कि उन्हें लगता है कि उनके पुरखे हिंदू ही थे, लेकिन उनको जबरन मुस्लिम बनाया गया होगा।

सैकड़ो सालों से एक साथ रहने वाले इस इलाके के हिंदू-मुस्लिम लोगों में अब नफरत कि नसें पनपने लगी हैं। कई लोग कहते हैं कि नफरत बढ़ रही है, और भरे पूरे परिवार बिखरने शुरू हो चुके हैं। लगता है कि ये लोग अपना वजूद खोजने कि कोशिश में एक दूसरे को खो रहे हैं। धर्म के ठेकेदारों ने इनका भी दिमाग ख़राब करना शुरू कर दिया है। दोनों पक्ष अपनी तरफ़ से भरपूर कोशिश कर रहे हैं इन्हें अपनी तरफ़ रिझाने की। मात्र २५ साल पहले तक हँसी-खुशी रहने वाली ये कौम अब घुटन महसूस करने लगी है।

हे राम, भला कर इन धर्म के ठेकेदारों का। इनको सिखा कि धर्म होता है परिवार जोड़ने के लिए, न की तोड़ने के लिए। इनको सद्बुद्धि दे। इनको ये बता दे की इंसान को जिंदा रहने के लिए धर्म की ज़रूरत नही होती है। दो जून की रोटी मिल जाए, इतना काफ़ी होता है। आमीन और तथास्तु!

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अनिल जी। आप का स्वागत है। इस बिरादरी में बिरादरी प्रमुख है। धर्म गौण। अब वीएचपी और मुस्लिम संगठन दोनों ही वहाँ कुप्रचार में जुटे हैं। वहाँ एक ही परिवार में दोनों धर्मों को मानने वाले हैं। शादी होती है तो एक में सप्तपदी होती है तो दसरें में निकाह। दूल्हा दुलहिन अलग अलग धर्मों से हुए तो दोनों हो जाते हैं। लड़की का मायका हिन्दू है तो वह मायके में साड़ी पहनती है। ससुराल जाने लगती है तो घर से साड़ी पहन निकलती है वहाँ पहुँचने के पहले सलवार कुर्ते में होती है।
इस बिरादरी का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। हम तो चाहते हैं कि पूरी विश्व बिरादरी ऐसी ही हो जाए।

Unknown ने कहा…

थू है ऐसे हिन्दू पर
जो गौहत्यारों को अपने जैसा समझता है
यहीं से वो स्वय भी गौहत्यारा हो जाता है