एक गाना सुना था कभी, पुराना सा, लेकिन फिर भी जन पहचाना सा। बोल उसके जैसे आशा और उम्मीदों से भरे थे। कुछ ऐसे था वो:
आ चल के तुझे
मैं ले के चलूँ
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ गम भी न हो
आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले
किसी ऐसे गगन के तले
ऐसे गगन की तलाश में तो सारी दुनिया घूम रही है, लेकिन किसी को नहीं मिला है अब तक। जो बेचारे थोड़ा बहुत इसके आस-पास पहुँचने वाले थे, उनको आजकल के टीवी चैनलों ने वो हवा दिखाई की बेचारे कोसों दूर भाग खड़े हुए। कोई भी न्यूज़ चैनल खोल के देख लीजिये, ५ मिनट में ही दुनिया भर में हो रहे सारे पाप के साथ नीम और करेले जैसे झूठों का ऐसा सम्पूर्ण मिश्रण परोसा जाता है कि राम भी राम राम करने लगें।
हद तो हद इतनी हुई, की मैंने टीवी देखना ही छोड़ दिया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी अपने पसंदीदा विषयों की खबरें मैं अंतरजाल से पढ़ लेता हूँ। कम से कम इस बात का तो चुनाव कर सकता हूँ की मुझे क्या सुनना है। सुबह सुबह "बिल्लो रानी चढी छज्जे पर" या "अमिताभ को क्यों आई छींक" देखने का कोई कौतूहल नहीं है मुझे।
कल अचानक ही एक ख्याल आया: क्यों न एक ऐसा न्यूज़ चैनल शुरू करें जिसमें दुनिया में होने वाले सिर्फ़ अच्छे काम ही दिखाए जायें? कोई भी बुरा समाचार न सुनाया जाए?
हालाँकि सपना बहुत अच्छा है, लेकिन मुझे नहीं लगता कलि और धन के इस युग में कोई ऐसा "विस्फोटक" कदम उठाना चाहेगा। भला न्यूज़ चैनल वाले दुनिया सच्चाई और ईमानदारी जैसी ग़लत बातें कैसे बता सकते हैं?
क्या आप न्यूज़ चैनल से हैं? या फिर खास धनवान हैं? शुरू करने की है हिम्मत मेरे सपनों का न्यूज़ चैनल?
है दम?
मंगलवार, 15 जुलाई 2008
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3 टिप्पणियां:
na to main kisi news channel se hun na hi rich lekin sach kahun to aapka sapna mera sapna bhi hai, kaash ki aisa koi channel shuru ho jo poori tarah aapke sapnon jaisa ho, duaa hi kar sakte hain...
Aameen!! Kash aapka sapna pura ho..!!
मेरे पंसद का गीत, ओर मेरी पंसद की बात, आप ने कह दी,बहुत बहुत धन्यवाद
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