क्यों?
क्योंकि चुनाव में सारे ही उम्मीदवार एक से एक अनपढ़ और भ्रष्ट होते हैं।
ऐसे बुरे हालात देखते हुए ये सवाल उठता है - आख़िर पढ़े-लिखे विद्वान लोग राजनीति में क्यों नहीं आते? ये बुद्धिजीवी लोग मेंढ़ पर बैठकर राजनीति पर सिर्फ़ टिप्पणियां क्यों करते हैं, इस द्वंद्व में कूद क्यों नहीं पड़ते?
पिछले एक महीने में जो घटनाएं घटी हैं, उन्होनें पढ़े-लिखे बुद्धिजीवियों को भी राजनीति के कीचड़ में कूदने को मजबूर कर दिया है। जाने-माने लेखक और प्रेरक शिव खेड़ा अब इस राजनीतिक मुहीम में कूद पड़े हैं। उन्होनें 1५ जुलाई को भारतीय राष्ट्रवादी समानता पार्टी गठित की है। उनकी पार्टी में सदस्यता लेने के लिए मजिस्ट्रेटों, डॉक्टरों, वकीलों, पत्रकारों और वैज्ञानिकों का तांता लग गया है। शिव खेड़ा का कहना है कि शिक्षा के सहारे ही भारत आगे बढ़ सकता है, और राजनेताओं का शिक्षित होना ज़रूरी है।
यदि शिव खेड़ा की कही बातें सुनीं जायें, तो ऐसा लगता है की हिन्दी चिट्ठाजगत में लिखे गए पिछले १ महीने के चिट्ठों का निचोड़ पेश कर रहे हैं। मैंने उनकी बातों में वाही सुना जो आजकल आम जनता, पत्रकार और चिट्ठाकार कह रहे हैं।
शिव खेड़ा कहते हैं:
- अपने क्षेत्र की सोचने की अपेक्षा पूरे भारत की सोचिये
- अपनी आज़ादी को पाने के लिए लड़ने के लिए तैयार रहिये
- "Made in India" पर गर्व महसूस कीजिये
- सही आदमी को वोट दीजिये
शिव खेड़ा ने भारत के उत्थान के लिए अपने विचार एक विडियो के ज़रिये कहने की कोशिश की है। तीन भागों में विडियो है, देखें:
भाग १:
भाग २:
भाग ३:
शिव खेड़ा कि साईट पर और भी जानकारी उपलब्ध है। पढ़ें।
3 टिप्पणियां:
अनिल भाई कया पढे लिखे की पहचान अग्रेजी बोलने से ही होती हे,अगर भारत का कोई भला कर सकता हे तो उसे पहले भारत की भाषा आनी चाहिये, आम आदमी की भाषा,यह आप के शिव खेड़ा भी मन मोहन जी की तरह से ही पढे लिखे जरुर होगे ओर काम भी मन मोहन जी जेसा ही करेगे,
काफी विवादित व्यक्तित्व रहा है शिव खेरा जी का. उनकी बेस्ट सेलर 'यू केन विन' पर अमृत लाल जी द्वारा लगाया गया मटेरियल चोरी का आरोप http://www.pressbox.co.uk/detailed/Media/Shiv_Khera-_Shiv_Khera_s_inside_story_16187.html तो उनकी पुरानी वेब साईट ही बन्द करवा गया था. फिर जहाँ तक पढ़े लिखे होने का प्रश्न है वो बमुश्किल एक कामर्स ग्रेजुयेट हैं. वो तो मात्र एक अच्छे वक्ता, मेनेज्मेन्ट गुरु, धनाढ़्य, ३० वर्षों तक अमरीका मे रहे..आदि आदि. पिछले चुनाव में दक्षिण दिल्ली से मात्र .०५% वोट प्राप्त कर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये थे.
मुझे तो इसमें उनकी राजनेतिक महात्वाकांक्षा अधिक नजर आती है, बावजूद उसके भी, प्रयास सराहनीय है. कई बार पहले भी इस तरह के प्रयास किये गये..मगर सियासत का खेल निराला है. प्रार्थना है कि अगर सच्चा प्रयास हो, तो सफल रहे.
उनकी पार्टी की वेबसाइट है:
www.brsp.org
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