भगवान् बुद्ध अपने शरीर की आखिरी साँसे गिन रहे थे। उनके सारे शिष्य और अनुयायी उनके चारों ओर एकत्रित थे। ऐसे में उन्होनें भगवान् से अपना आखिरी संदेश देने का अनुरोध किया।
बुद्ध अपने सर्वश्रेष्ठ शिष्य की तरफ़ मुख करके बोले: "मेरे मुख में देखो, क्या दिख रहा है"?
बुद्ध के खुले मुख की तरफ़ देख कर वह बोला: "भगवन, इसमें एक जीभ दिखाई दे रही है"
बुद्ध बोले: "बहुत अच्छा, लेकिन कोई दांत भी हैं क्या?"
शिष्य ने बुद्ध के मुख के और पास जाकर देखा, और बोला: "नहीं भगवन, एक भी दांत नहीं है"
बुद्ध बोले: "दांत कठोर होते हैं, इसलिए टूट जाते हैं। जीभ नरम होती है, इसलिए बनी रहती है। अपने शब्द और आचरण नरम रखो, तुम भी बने रहोगे"
यह कहकर बुद्ध ने अपने शरीर का त्याग कर दिया।
नरमी में ही शान्ति और विकास है। इसी में सबकी भलाई है।
शनिवार, 26 जुलाई 2008
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5 टिप्पणियां:
सुन्दर!शिक्षाप्रद।
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sundar suvichaar.
शिक्षाप्रद, सुंदरतम विचार। बधाई. लिखते रहें.
शिक्षा ग्रहण कर ली जी
बहुत सुन्दर उपदेश दिया है। आभार।
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