नेपाल की माओवादी पार्टी के कुछ लोग उड़ीसा में देखे गए हैं। हमारे "सूचनातंत्र" को सूचना भी दे दी गई है, की ये लोग मलकानगिरी में हैं, और बुरे मनसूबे लेकर आए हैं। लेकिन उड़ीसा में न तो उनमें से किसी को गिरफ्तार किया गया है, न ही हाई-एलर्ट की घोषणा हुई है। कुछ दिन पहले पचासों सैनिकों और अन्य लोगों को मौत के घाट उतरा था इन्होनें इसी मलकानगिरी में।
१-२ दिन और रुकें, उड़ीसा में इतिहास अपने आप को दोहराएगा, जैसे कि जयपुर, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु इत्यादि में हुआ है। दुनिया के एक विकासशील देश की पिछडी पुलिस, दब्बू राजनेता और नाकामयाब सूचनातंत्र से और क्या उम्मीद रखी जा सकती है?
मैं उड़ीसा में होने वाले अगले धमाकों की पहले से ही कड़ी निंदा करता हूँ, जांच करवाने का आश्वासन देता हूँ, दोषियों को सज़ा दिलाने का वादा करता हूँ, और आम आदमी से ये आह्वान करता हूँ कि जन-जीवन को जारी रखे और इन आतंकियों के बुरे मंसूबों को कामयाब न होने दे।
आप भी अपने-अपने चिट्ठे पहले से ही लिख कर रख लें इस होने वाले आतंकी हमले पर, थोड़ा समय बच जाएगा।
सोमवार, 28 जुलाई 2008
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3 टिप्पणियां:
orrissa ki halat pelhe se hi kharaab hai.kabhi sukhaa to kabhi baadh aur ab naxalwaad orissa ka to bas bhagwaan jagannath hi maalik hai
भाई ऎसी बाते मत लिखो पत नही सच मे कुछ हो जाये, ओर आप कही मजाक माजक मे फ़सं जाये,वेसे दब्बु सरकार को हमारी ओर तुम्हारी कोई जरुरत नही, इन्हे वोट चाहिये वोट
धन्यवाद
भाटिया जी, चेतावनी के लिये शुक्रिया। लेकिन पिछले कुछ दिनों से जो सब कुछ देखा है, उसके बाद मैं न तो इन राजनेताओं से डरता हूं, न ही इन आतंकियों से। सूचना मिलने के बावजूद ढिलाई हो रही है उड़ीसा में। अपने साथी देशवासियों को चेताना मेरा फर्ज़ है। टीवी-पेपर-रेडियो वाले भूल गये हैं अपनी जिम्मेदारी, लेकिन मैं नहीं रुकूंगा।
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