बुधवार, 13 अगस्त 2008

क्या इस देश में दो कानून हैं?

थोडी देर पहले एक ब्लॉग पोस्ट पढ़ी। दलील थी कि इस देश में दो कानून हैं - एक पहुँच वालों के लिए और एक बिना पहुँच वालों के लिए। मेरा कहना है कि इस देश में दो कानून नहीं हैं। इस देश में अनगिनत कानून हैं। कोई गरीब के लिए, कोई दलित के लिए, कोई मुस्लमान के लिए, कोई नारी के लिए। सिर्फ़ नेताओं के यहाँ कानून की गरीबी है - बेचारों के लिए कोई कानून ही नहीं है!

5 टिप्‍पणियां:

राजीव रंजन प्रसाद ने कहा…

"सिर्फ़ नेताओं के यहाँ कानून की गरीबी है - बेचारों के लिए कोई कानून ही नहीं है!"

सत्य...

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

क्षमा करें, अनिल जी। मुझे लगता है यह आप की सोच नहीं है। यदि सोच है तो सिरे से ही गलत है। और व्यंग्य करना चाह रहे हैं तो उस की धार गलत है। वास्तव में न केवल कानून दो हैं। बल्कि दो ही तरह का राज है। एक राज शासन करने वालों और उन के आकाओं धनपतियों का है और दूसरा बाकी सब का। ये शासन करने वाले ही दूसरी तरह के लोगों में प्रचारित करते हैं कि राज की अनेक श्रेणियाँ हैं। क्यों कि वे इस तरह दूसरी तरह के लोगों को अनेक भागों में बांट देते हैं, और उन की लड़ाई को कमजोर करते हैं। जनता की आवाज की धार को भी कम करते हैं। मीडिया की उस में बड़ी भूमिका है. क्योंकि इस तरह वह विरोध के स्वरों में व्यवस्था का समर्थन और बचाव करता है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

अजी हमारे देश मे कानुन तो एक ही हे, लेकिन बेचारा अंधा हे,धर्तराष्ट की तरह से, जो सिर्फ़ कोरवो जेसो को देखता हे,अब जरुरत हे अर्जुन ओर पाडवो की, इस की आखंओ से समय रहते पट्टी खोल दे कही देर ना हो जाये

Udan Tashtari ने कहा…

सत्य वचन, आपके भी और दिनेश जी के भी.

ek aam aadmi ने कहा…

maalik, yahan sirf do tarah ke log hain, ek bewakoof banaane wale, doosare banane wale, to do tarah ke kaanoon, domuhi baatein, dotarfa chaal, dumuhe log, dohare standard hain, to isme aapatti kya hai, naitikta ki duhai dene wale ham log sabse jyada anaitik hain