1) अक्षरों का आकार (Font size): अंग्रेज़ी में मात्राएँ नहीं होती। सारे अक्षर लगभग एक ही आकार के होते हैं, इसलिए पढ़ते समय छोटे फॉण्ट से भी काम चल जाता है। लेकिन हिन्दी में कुछ मात्राएँ अक्षरों के ऊपर और कुछ मात्राएँ अक्षरों के नीचे होती हैं। इन मात्राओं के लिए जगह भी तो चाहिए। इसलिए एक ही साइज़ के हिन्दी और अंग्रेज़ी फोंट्स में ज़मीन-आसमान का अन्तर हो जाता है। देखें:
पुनर्विचार Rethinking
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देखें कि बड़े फॉण्ट में तो कोई ख़ास अन्तर नहीं दिखता - लेकिन फॉण्ट जैसे जैसे छोटा होता जाता है, हिन्दी को पढने में खासी दिक्कत आने लगती है, ख़ास तौर पर मात्राएँ बहुत छोटी हो जाती हैं। व् के ऊपर "र" का तो पता ही नहीं चल रहा कि "र" है या बिन्दु।
सारांश: हिन्दी में लिखते समय फॉण्ट का आकार थोड़ा बड़ा ही रखें, पढने में आसानी रहेगी।
२) पृष्टभूमि का रंग (Background color): क्योंकि हिन्दी फॉण्ट संरचना में अंग्रेज़ी से थोड़े जटिल होते हैं, इसलिए सफ़ेद पृष्टभूमि पर काले फॉण्ट से लिखना बढ़िया रहता है। यदि गहरे रंग की पृष्टभूमि में सफ़ेद रंग से लिखा, तो पढने के बाद यदि किसी दूसरे पन्ने पर जायेंगे तो आंखों के आगे पिछले अक्षर ही नाचते दिखाई देंगे।
सारांश: हिन्दी में लिखते समय सफ़ेद पृष्टभूमि पर काले फॉण्ट से लिखें।
4 टिप्पणियां:
बहुत फायदे कि बात बताई आपने अनिल जी,धन्यवाद
आलोक सिंह "साहिल"
ठीक कह रहे हैं आप.. आपका ब्लोग पढ़ना आसान है
बढ़िया जानकारी दी। धन्यवाद।
धन्यवाद भाई
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