शनिवार, 16 अगस्त 2008

अमेरिका अपना रहा है भारतीय आदर्श



धर्म और संप्रदाय के नाम पर राजनीति भारत में बरसों से हो रही है। अंग्रेजों की देन इस विद्या में भारतीय लोग कितने माहिर हो चुके हैं, ये १९४७ में देशविभाजन के दौरान ही पता चल गया था। आज कश्मीर की आग यूँ ही नहीं धधक रही है, हमारे राजनेताओं को बरसों लगे हैं इस आग में घी डालने में।

राजनीति में धर्म और संप्रदाय का इतना सफल प्रयोग देखकर अब फाइनली अमेरिका जैसे विकसित देशों ने भी भारत से सीखने का फ़ैसला कर लिया है। गौरतलब रहे कि वहाँ राष्ट्रपति बनने की फिराक में पहले तो ओबामा और हिलैरी ने एक ही पार्टी में होते हुए एक-दूसरे पर ओछे आरोप लगाये। फिर सुलह करके ऐसा प्रेम जताया जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। भारतीय राजनीति ने जो पथ अमेरिका को दिखाया है, उसे आगे बढ़ते हुए अब जॉन मैकेन और बराक ओबामा अमेरिकी ईसाईयों को लुभाने चले हैं। यह भारत से थोड़ा "डिफ़रेंट" है क्योंकि हमारे यहाँ अक्सर अल्पसंख्यकों पर राजनीति होती है। लेकिन शुरुआत के लिए बहुसंख्यक ही सही। धीरे-धीरे अमेरिका भी भारत की राजनीति का फार्मूला सीख लेगा, इस फोर्मूले का नाम है "धर्म और अल्पसंख्यक"।

चालू मुद्दे भुनाने में भी इन दोनों प्रत्याशियों ने भारत से सीख ले ली है। दोनों ही आजकल समलैंगिकों की शादियों और उनके चर्च में पादरी बनने पर जमकर चर्चा कर रहे हैं। इस चर्चा में उन्होनें समूचे देश के सामने बाइबल के सन्दर्भ में बातें की हैं। एक दूसरे पर कीचड़ उछालना भी इन्होनें भारत से सीखा है - आजकल वे अमेरिकी टीवी पर एक दूसरे को नीचा दिखने के लिए विज्ञापनों की होड़ लगाये बैठे हैं।

कौन है माई का लाल जो यह कह दे कि सिर्फ़ प्राचीन भारत ही दुनिया का गुरु था? आधुनिक भारत भी सारी दुनिया का गुरु ही है! जय भारत, जय नेता!!

2 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सुन्दर व्यंग्य।

राज भाटिय़ा ने कहा…

अजी लालु को युही तो नही अपना गुरु बनाया इन अमेरिकनो ने,बहुत सी सुन्दर व्यंग्य किया हे आप ने,धन्यवाद