याद आ गया अपनी बडी बहन के साथ लडाई का वो दिन जब हम एक दूसरे के ऊपर अपने फ़ाउंटेन पेन से स्याही छिडक रहे थे और इस कारनामें में दोनों के कपडे और पलंग पर बिछी मंहगी चादर का खेल हो गया था ।
एक चौंतीस वर्षीय साधारण भारतीय युवक, जिसे वक्त के थपेड़ों ने संयुक्त राज्य ला पटका। देश की मिट्टी माथे पर लिये घूमता हूँ। सौ पढ़ता हूँ, एक लिखता हूँ। पेशे से चिकित्सक, धर्म है भारत। तकनीकी विषयों पर माथापच्ची करने में भी रुचि रखता हूँ। चाय बहुत अच्छी बनाता हूँ, कभी आइयेगा!
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कार्टून साभार: राहुल
4 टिप्पणियां:
yah to rahi khane ki baat.kitne to nahane lagten hain(nigar khaan ,karina kapur)..sunadar photo
मैं चाहे ये करूं मैं चाहे वो करूं, मेरी मर्जी।
आपको जैसे खाना हो खाना, मैं तो ऐसे ही खाउंगी। समझे?
Beautiful.
मम्मी ने बाद में खूब खबर ली होगी ।
याद आ गया अपनी बडी बहन के साथ लडाई का वो दिन जब हम एक दूसरे के ऊपर अपने फ़ाउंटेन पेन से स्याही छिडक रहे थे और इस कारनामें में दोनों के कपडे और पलंग पर बिछी मंहगी चादर का खेल हो गया था ।
उसके बाद सजा जो मिली वो नहीं बताऊँगा :-)
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