बचपन के दिनों में किसी किताब में सुभाष चंद्र बोस के बारे में पढ़ा था। सुभाष बोस IAS की परीक्षा लिखने बैठे थे, और निबंध का विषय था "अंग्रेजों ने भारत को कैसे गुलाम बनाया और कैसे इतने बड़े देश पर राज कायम किया, इसपर प्रकाश डालें"। सुभाष बोस का उत्तर केवल तीन शब्दों का था। उनके उत्तर को पढ़कर परीक्षक ने उनकी उत्तर पुस्तिका पर लिखा "परीक्षार्थी परीक्षक से अधिक समझदार है"।
क्या थे उनके वे तीन शब्द?
"Divide and rule" - "फूट डालो और राज करो"।
इस बात के 90 साल बाद आज अंग्रेजों से शिक्षा लेकर हमारे राजनेता हमपर राज कर रहे हैं। जिस तरह अंग्रेजों ने भारतीय समाज में फूट डाली, उसी तरह राज ठाकरे जैसे राजनेता भारत को तोड़ने में लगे हुए हैं। मैं मराठी, तू बिहारी। मैं मद्रासी, तू पंजाबी। मैं हिंदू, तू मुसलमान।
कोई नहीं कहता कि "मैं हिन्दुस्तानी"। अब ये तो सिर्फ़ फिल्मी गानों में ही सुनाई देता है।
जहाँ चीन और जापान जैसे देश आसमान छूने लगे हैं वहीं हम अभी भी इन ओछी राजनैतिक हरकतों में लगे हुए हैं - शर्म आनी चाहिए हमें।
राज ठाकरे जैसी विचारधारा रखने वाले लोगों को देखकर साफ़ पता चलता है कि उन्हें दी गई सारी शिक्षा असफल हो गई है। स्कूलों में जो सीखा पढ़ा, कि "हम सब भारतीय हैं" या "वीर तुम बढे चलो" - वह राज जैसे लोगों को भारत की पहचान देने में बुरी तरह नाकाम रहा है ।
लेकिन राज ऐसा कर क्यों रहे हैं? क्या उन्हें महाराष्ट्र से इतना प्रेम है? मुझे शक है। भारत में फूट डालने का उनका वही उद्देश्य है जो अंग्रेजों का था - भारत पर राज करना और अपना उल्लू सीधा करना।
हम क्या कर सकते हैं?
कहते हैं कि पके घड़े पर मिटटी नहीं चढ़ती। अब राज ठाकरे को यदि काल कोठरी में ५० साल बंद करके ये रटवाया जाए कि "भारत एक है" तो वो तो समझने से रहे। अलबत्ता हम ये ज़रूर कर सकते हैं कि अपने आप को ये अहसास दिलाएं कि भारत एक है, और अपने बच्चों को शुरू से ही ये शिक्षा दें कि देश के हित में ही काम करें, न कि अपने फायदे के लिए। कम से कम आने वाली पीढी तो एक सशक्त भारत का निर्माण करने के सपने संजो सकती है।
कृपया अपने विचार प्रकट करें।
5 टिप्पणियां:
अनिल जी, बड़े दिनों के बाद आपके ब्लोग पर कुछ पड्ने को मिला। और हमेशा की तरह मज़ा आ गया। जहा तक राज जी की बात कि जाये………तो बस दिल से एक ही अवाज़ आती हैं………हे उपर वाले…इस नासमझ को सदबुदी दे, इसे नही पता ये क्या कर रहा है। अनिल जी,मैने भी राज साब के इज़्ज़त मे दो चार पोस्ट लिखे है……एक नज़र डाल दिजयेगा……और दिल को सुकुन मिलेगा……अगर comment पड्ने को मिल जाये…
http://journalistsumit.blogspot.com/2008/10/blog-post_30.html
http://journalistsumit.blogspot.com/2008/10/blog-post_27.html
http://journalistsumit.blogspot.com/2008/10/blog-post_171.html
http://journalistsumit.blogspot.com/2008/10/blog-post_22.html
राज ठाकरे जैसे अपराधी तो हर सदी में हर जगह पाए गए है......ऐसे लोगो से इतना शिकवा नही, जितना की इन्हे पालने- पोसने वाले, और इनके इशारो पर नाचने वाले लोगो से है......वो राज ठाकरे से बड़े अपराधी है! क्या राज ठाकरे को काबू में करना इतना मुश्किल है? क्या सिर्फ़ मुट्ठी भर भीढ़ को काबू कार पाना इतना मुश्किल है की सब सिर्फ़ हाथ पर हाथ धर कर मासूम लोगो को बेरहमी से पिटते देखने और उन्हें कैमरे में 'cover' करने के अलावा और कुछ नही कार सकते?
सिर्फ़ २ डंडे, और ३ दिन की हवालात काफी है "आमची मुंबई" का पाठ भुलाने के लिए, पर अफ़सोस इतना मामूली सा काम करने में भी प्रशासन को भरी इक्षाशक्ति की आवश्यकता पड़ रही है............
बहुत दिनों बाद आये अनिल जी..
’राज ठाकरे’ या कहें तो ये चाचा भतिजा की जोडी देश को बर्बाद करने मे तुली है.. लेकिन गल्ती उनकी नहीं है.. हमारी है.. हम चुपचाप तमाशा देख रहे है..
"फूट डालो और राज करो" के बारे में सब लोग जानते हैं पर फ़िर भी कुछ लोगों के भड़काने पर भड़क जाते हैं, और आपस में लड़ना शुरू कर देते हैं. लोगों की इस कमजोरी को यह नफरत के सौदागर अच्छी तरह पहचानते हैं, और उस का फायदा उठाते हैं अपने नापाक इरादे पूरे करने के लिए. राज ठाकरे एक व्यक्ति है, पर स्थिति ऐसी है कि वह हजारों महाराष्ट्र निवासियों को इस हद तक भड़का सकता है कि वह दूसरों की हत्या तक कर देते हैं. लाखों महाराष्ट्र निवासी चुप चाप यह अन्याय और हत्त्यायें होते देखते रहते हैं. क्या हो गया है इन लोगों को?
anil maine yaha article pada| Ek dum theek vichar hai. par raj thakre ko toh jail mein band karna hi hai.
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