पाकिस्तान हमेशा से ही भारत की उपलब्धियों की नक़ल करता आया है। पोखरण में भारत के परमाणु परीक्षण की तो पाकिस्तान ने कुछ ही दिनों में नक़ल कर डाली। बाद में अमेरिका द्वारा भारत से परमाणु संधि करने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अमेरिका जाकर जॉर्ज बुश से भारत जैसी ही संधि की मांग करने पहुँच लिए। वह अलग बात है कि अब्दुल कयूम खान ने जो परमाणु की दुकान खोलकर कई देशों में परमाणु बांटे, उसके चलते पाकिस्तान को सिर्फ़ ठेंगा ही मिला। कल ख़बर आई कि अमेरिकी ठेंगे के बाद पाकिस्तान ने अपने पुराने दोस्त चीन से परमाणु रिएक्टर मांगे हैं। चीन ने दो रिएक्टर देने का वादा भी कर दिया है।
लेकिन फिर भी भारत अपने आपको पाकिस्तान के चंगुल से छुड़ाता दिखाई दे रहा है। भारत में भी दिक्कतें हैं, लेकिन लोकतंत्र में विश्वास और नागरिकों के उत्थान के लिए योजनाओं के सहारे भारत प्रगति कर रहा है। भारत ने चंद्रयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर डाला है। लेकिन इस बार पाकिस्तान भारत की नक़ल करने में बेबस दिखाई दे रहा है। चंद्रयान तो दूर, पाकिस्तान अपने देश में आधारभूत सुविधाओं से भी वंचित होता दिख रहा है। लोकतंत्र का तो वहाँ बैंड बजा ही, साथ ही देश का भी दिवाला निकल चला है। यहाँ देखें की कैसे उग्र पाकिस्तानी लोगों ने आर्थिक मंदी के चलते स्टॉक मार्केट में तोड़फोड़ की।
ऐसा दिखाई देता है कि पाकिस्तान के राजनेताओं ने ईस्ट इंडिया कंपनी की ही तरह लोगों में आपसी फूट डलवाकर अपना उल्लू सीधा करते-करते अपनी उम्र बिता दी है। अरबों डॉलर की "अंतर्राष्ट्रीय" (अमेरिकी) मदद मिलने के बावजूद पाकिस्तान के हालात दिन-बा-दिन खस्ता होते चले जा रहे हैं। कश्मीर के मुद्दे पर जिहाद का नारा लगाकर पाकिस्तानी राजनेताओं ने पाकिस्तानी अवाम का ध्यान रोटी से कश्मीर की ओर ६० सालों से खींच रखा है, और आगे भी खींचते रहेंगे।
ऐसे में चाँद तो क्या, पाकिस्तानियों को दो बीघा ज़मीन भी मिल जाए तो अचरज होगा। चीन यदि पाकिस्तान को चंद्रयान भी दे दे, लेकिन रोटी नहीं दे पायेगा।
5 टिप्पणियां:
भारत जैसा लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता ला कर दिखाए चाँद पर तो फिर भी जाया जा सकता है.
अरे भई पकिस्तान में इतनी अकल नही है कि वो नक़ल मार सके वो तो चीन के सहारे करता है बेचारा और संजय भाई जब चीन के पास ही ऐसा लोकतंत्र नही है तो वो पकिस्तान को क्या ख़ाक दिलवाएगा?
यह अंग्रेज़ों की नीति रही है कि हिन्दुस्तान को पाकिस्तान के बराबर करके देखे और यही मानसिकता हमारे में भी आ गई है। दर असल भारत जैसे बडे और समृद्ध देश से उसकी तुलना करना ही गलत है। वह एक छोटा देश है और अपनी जनता की भलाई छोड कर वह भारत की बराबरी करने की होड में लगा है। आशा है उसे कभी न कभी समझ आ जाएगी।
सही कहा बन्धु, अगर वे इतने ही समझदार होते तो अपना ही घर (हिन्दुस्तान) तोड़कर अलग क्यों होते?
बहुत बढिया पोस्ट है।बधाई।
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