बुधवार, 18 मार्च 2009

मेरी पहली रोटी

आज मैंने जीवन में पहली बार अपने हाथ से रोटी बनायी। आकार गोल नहीं बन पाया, लेकिन स्वाद भरपूर आया। आप भी देखें! साथ में आलू-गोभी की सब्जी भी है!


17 टिप्‍पणियां:

ghughutibasuti ने कहा…

बधाई हो। अब साथ में कुछ सब्जी, दाल भी हो जाए !
घुघूती बासूती

Neeraj Rohilla ने कहा…

रोटियाँ तो एकदम मस्त बनी हैं। घर पर कब बुला रहे हैं? :-)
कहो तो हिलक्राफ़्ट में बाम्बे स्वीट्स पर एक ब्लागर मीट कर ली जाये, या फ़िर अगर बीयर पीने का शौक रखते हों तो राईस में वलहाला पर हमारे मेहमान बनिये।

Anil Kumar ने कहा…

घुघूती जी, रोटियों के साथ आलू-गोभी की सब्जी भी बनायी थी. माफ कीजियेगा दिखाना भूल गया. अब चित्र लगा दिया है.

नीरज जी, विचार तो बहुत अच्छा है. मैं बीयर तो नहीं पीता लेकिन हिलक्राफ्ट में कुछ मस्ती अवश्य की जा सकती है. यदि समय मिले तो मुझे ईमेल करें. dr.k.anil@gmail.com

not needed ने कहा…

लगता पापड़ बेलने की तयारी शुरू हो चुकी है: मेडिकल residency में पापड़ ही तो बेलने हैं. कस के मेहनत वाली मजदूरी ही तो है.
अभी भी टाइम हैं, एक अदद बीवी की तलाश कर लो !

Arvind Mishra ने कहा…

क्या बात है बनी तो जैसी भी हो सिकी जोरदार है साफ़ दिख रही है ! आपने तो मुझसे बेहतर ही बनाई है ! जीवनसाथी न भी रखें तो चल जायेगी !

बेनामी ने कहा…

bahut badhai,roti aur sab ji dono tasty lag rahe hai.

रंजू भाटिया ने कहा…

बढ़िया बनायी दिख रही है ..बधाई हो आपको पहली रोटी बनाने की :)

mamta ने कहा…

बधाई पहली रोटी बनाने की ।
अरे ये तो नान लग रही है । पर अच्छी लग रही है ।
और खाने में स्वादिष्ट होगी ऐसा लग रहा है । :)

अनिल कान्त ने कहा…

तस्वीर से तो अच्छी जान पड़ती है ..... :) :)


मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

उम्मतें ने कहा…

प्रथम छवि में चार दिखाईं ?
नंबर दो में दो ?
इसीलिए कन्फ्यूज़्ड हूं ?
कि 'पहली' कौन सी हो ?
.................

मुझे नहीं मालूम कि रोटियों में गोलाई का सौंदर्यशास्त्र किसने लिखा है? लेकिन आपकी
सभी रोटियां ज़बरदस्त हैं !

बेनामी ने कहा…

हद हो गई! मैं तो सोचता था आप पाक कला में पारंगत है........मुझे क्या पता था की जो आदमी मुझे मिर्च, हल्दी और नमक में १:२:३ का अनुपात समझाता था, उसे रोटियां नहीं बनानी आती है?? हा हा .....वैसे ठीक ठाक तो लग रही है दिखने में.........खाने में भी अच्छी ही होगी....... :)

संगीता पुरी ने कहा…

बधाई हो ... गोल नहीं बनीं ... फिर भी अच्‍छी बनी है ... कम से कम किसी देश का नक्‍शा तो नहीं बना न।

Anil Kumar ने कहा…

मुनीश जी पापड बेलने की तैयारी ही समझ लीजिये! हर काम की शुरुआत ऐसे ही होती है. रही बात बीवी की, तो मेरी रोटियाँ बनाने की कला को देखकर कोई न कोई तो जरूर आकर्षित होगी !

ममताजी आपने सही पकडा. दरअसल मैं गलती से आटे की जगह मैदा उठा लाया था. तो मैदे की ही रोटियाँ बना डाली. अब गलती सुधार ली है, मैदे को वापस कर आटा ले आया हूँ. आज की रोटी इससे भी स्वादिष्ट बनी थी.

अली भाई मैं आपसे सहमत हूँ कि रोटी के अच्छी होने में उसकी गोलाई का कोई योगदान नहीं होता - कम से कम मेरे लिये तो नहीं. फिर भी कोशिश करता हूं कि भूगोलीय नक्शे न बनें तो अच्छा रहेगा. रोटियाँ तो पाँच बनायी थीं, तो ढेर में जो सबसे नीचे दबी है वही है पहली रोटी!

भाई नीतेश, मैं खाना बनाने में निपुण तो हूँ, लेकिन जो चीज कभी न बनायी हो, उसकी कहीं तो कहीं से शुरुआत करनी पडेगी ना! इससे पहले मैं आलू के पराँठे, नान, कुलचे, भटूरे और जलेबियाँ तक बना चुका हूँ, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो कभी नहीं बनायी - जैसे कि करेले, बैंगन, पालक इत्यादि. ये सभी मेरी "अधूरे कामों की फेहरिस्त" में हैं और जल्द ही इन्हें पूरा किया जायेगा!

आप सभी का हौसला-अफजाई के लिये धन्यवाद!

pritima vats ने कहा…

अपने हाथ से चीजों की बात ही कुछ और होती है। सब्जी-रोटी की बधाई हमारी ओर से भी स्वीकारें।

बेनामी ने कहा…


दाल रोटी चावल

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

भाई साहब आपने तो ब्लॉग पोस्ट की सामग्री के नये फॉर्मूले से परिचित करा दिए। अब तो आपकी पहली करेले, बैंगन, पालक आदि की सब्जियों का रूप रंग भी देखने को मिलेगा। कब ठेल रहे हैं?

not needed ने कहा…

रेज़िड्न्सि मिलने पर बधाई हो. रेज़िड्न्सि के नॉन सेंकने की तयारी भी कर लो, बन्धु.