बुधवार, 8 अप्रैल 2009

एक ताइवानी लड़की से बातचीत


आज शाम की चाय वेन्या के साथ हुई। वह ताइवान देश से है, और मेरे विश्वविद्यालय में उच्च-शिक्षा प्राप्त कर रही है। बात गपशप से शुरू हुयी थी, लेकिन बहुत दूर तक चली गयी। उस साक्षात्कार का सारांश यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ:

मैं: ताइवान के बारे में कुछ बताइये।
वेन्या (मुस्कुराते हुये): क्यूंकि मैं ताइवान से ही हूँ, इसलिये मैं वहाँ के बारे में अच्छी बातें ही बताउंगी। ताइवान एक द्वीप है, जो बहुत पुराना देश है। चीन और जापान द्वारा शासन किये जाने के कारण यहाँ की संस्कृति बहुरंगी है, बिलकुल भारत की तरह। कई साल पहले चीन में कम्युनिस्ट क्रांति आयी थी, और विपक्षी राजनेताओं को मार डाला गया था। कुछ नेता और उनके अनुयायी जान बचाने के लिये चीन से भागकर ताइवान आ गये थे। चीन से युद्ध भी हुआ था। तब से ताइवानी लोग अपने आपको अलग देश मानते हैं, लेकिन चीन बार-बार हमें चीन का ही हिस्सा कहता आया है।



मैं: ताइवान संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिये बहुत समय से कोशिश कर रहा है। उसके बारे में क्या कहना चाहती हैं?
वेन्या: चीन बहुत ताकतवर देश है। वे अपनी ताकत का इस्तेमाल करके मेरे देश की आवाज हर मंच पर दबा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिये चीनी नेताओं ने हमारा खूब विरोध किया है, जिसके कारण अन्य देश हमें समर्थन देने से कतरा रहे हैं। ओलंपिक में ताइवान "चीनी ताइपेई" के नाम से भाग लेता है, और हमें अपना झंडा फहराने की भी अनुमति नहीं है। हमारी टीम ओलंपिक समिति का झंडा फहराती है।

(वेन्या की आंखे नम हो आयीं, और हम कुछ क्षण मौन रहे)

मैं: ताइवान के राजनैतिक हालात कैसे हैं?
वेन्या (गंभीर मुद्रा में): हमारे पिछले राष्ट्रपति पर इलजाम आया है कि उन्होंने अरबों डालर का गबन किया, और अपने परिवारजनों में पैसे लुटाये। इससे वहाँ राजनैतिक हालात बहुत खराब हुए हैं। मैं तो ज्यादा ही दुखी हूँ, क्योंकि राष्ट्रपति के दादा मेरे दादा के दोस्त थे। वह पैसा उन्होंने एक अलग देश बनाने के लिये गबन किया था, जिसे सुनकर मेरा दिल बहुत रोया।

मैं: क्या ताइवान में चीनी मूल के लोगों को आदर प्राप्त है?
वेन्या: ताइवान के नेता कहते हैं कि जो लोग दो पीढ़ी पहले चीन से भागकर यहाँ आये थे, वे लोग ताइवानी नहीं है, उन्हें वोट और नौकरी न दें। लेकिन जब मैं छोटी थी, मैंने उन्हीं प्रवासी लोगों को सड़कें, इमारतें इत्यादि बनाते देखा था। उनके हाथों ने ताइवान के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वैसे भी उनके आजकल पोते-पोतियाँ हो चुके हैं जो दिल से ताइवानी ही हैं। ऐसे में वोट पाने के लिये लोगों को नस्ल के आधार पर बाँटना अनुचित है।

मैं: तो क्या ताइवान में भी "जातिप्रथा" जैसे सामाजिक बँटवारे होते हैं?
वेन्या: पहले ताइवान में राजा शासन करते थे। उस समय समाज को शिक्षक, योद्धा और अन्य - तीन विभागों में बाँटा गया था। लेकिन जब लोकतंत्र आया तो लोगों ने उस प्रथा को मानना बंद कर दिया। परिवार इसलिये महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि वह संस्कार देता है। लेकिन आजकल शिक्षा का स्तर इतना ऊँचा हो गया है कि कोई भी उच्च शिक्षा और संस्कार प्राप्त कर सकता है। ऐसे में पुराने समाज के विभागों को कोई नहीं मानता।

मैं: ताइवानी संस्कृति पर चीन के अलावा और कौनसे देशों का असर है?
वेन्या: ताइवान पर जापान ने कई सालों तक राज किया था। इसलिये ताइवान में आज भी जापान का प्रभुत्व माना जाता है। जापान की बनी चीजों को बहुत उम्दा माना जाता है, और वे चीजें बाजार में महंगी बिकती हैं। कई ताइवानी लड़कियाँ जापानी लड़कों से शादी भी करती हैं।

मैं: बिलकुल वैसे ही जैसे भारत में विलायती चीजों को अच्छा समझा जाता है, और भारतीय लड़के विलायती मेमों से शादी करने को उत्सुक रहते हैं।

(इसपर हम दोनों हँस पड़े)

मैं: शासक और शासित देशों में आमतौर पर फर्क देखे जाते हैं। ताइवान और जापान में क्या फर्क हैं?
वेन्या: फर्क है लोगों के सोचने के तरीके का। जापानी लोग अपने देश से बहुत प्यार करते हैं, और देश के लिये मर-मिटने को तैयार रहते हैं। ताइवानी लोग ऐसा नहीं करते। सभी ताइवानी लोग सिर्फ अपनी चिंता कर रहे हैं, देश की चिंता किसी को नहीं। ताइवान के लोगों में देशप्रेम की थोड़ी कमी है।

मैं: देशप्रेम क्या होता है? इसे कैसे बढ़ाया जा सकता है?
वेन्या: जब आप अपनी चिंता किये बगैर देश की उन्नति के लिये काम करते हैं, तो यही देशप्रेम है। यदि आप किसी जापानी व्यक्ति से कहेंगे कि उसकी मौत से जापान में समृद्धि आयेगी, तो वह अपनी जान देने को तैयार हो जायेगा। मैंने सुना है कि जापान में जेलों में बंद अपराधी भी देश पर मर मिटने के लिये तैयार रहते हैं!  मैंने देखा कि जापान और अमेरिका में बच्चों को देशप्रेम के पाठ बचपन से ही पढ़ाये जाते हैं। इसीलिये ये देश थोड़े ही समय में बहुत तरक्की कर गये हैं। मैं चाहती हूँ कि ताइवान में भी स्कूल-कालेजों में देशप्रेम से भरे पाठ पढ़ाये जायें, जिससे ताइवान का भी दुनिया में नाम रोशन हो।

मैं: देशप्रेम को बढ़ाने के लिये परिवार की क्या भूमिका हो सकती है?
वेन्या: आजकल ताइवान में युवा पीढ़ी जापान और अमेरिका को आदर्श मानने लगी है। यदि किसी ताइवानी युवा से पूछिये कि "सबसे अच्छा देश कौन", तो आधे कहेंगे कि जापान, और आधे कहेंगे कि अमेरिका। माँ-बाप यदि बचपन से ही यह सिखायें कि अपना देश ही सर्वश्रेष्ठ होता है, तो हम अपने देश और देशवासियों का अधिक सम्मान करेंगे।

मैं: शिक्षा के बारे में क्या कहना चाहती हैं?
वेन्या: शिक्षित व्यक्ति सोच समझकर फैसले लेता है, जबकि अशिक्षित व्यक्ति किसी के बहलाने-फुसलाने पर भी फैसले ले सकता है। एक उदाहरण देती हूँ। कई साल पहले मेरे गाँव में रेलगाड़ी लाने का विचार रखा गया था, जिसे गाँव के सरपंचों ने ठुकरा दिया। उनका मानना था कि रेल आने से गाँव में कोयले का प्रदूषण फैलेगा, जिससे लोगों के कपड़े मैले हो जायेंगे। तो रेलवे स्टेशन पड़ोसी गाँव में बना दिया गया। रेल आने से पड़ोसी गाँव में रोजगार आया, उन्नति हुयी, लेकिन हमारा गाँव पिछड़ा ही रह गया। यदि हमारे गाँव के सरपंच पढ़े-लिखे होते तो जरूर सही फैसला लेते।

मैं: भारत के बारे में आपके क्या विचार हैं?
वेन्या: भारत बहुत अच्छा देश है, और मैं जितने भी भारतीयों से अभी तक मिली हूँ, सभी से बहुत ही प्रभावित हुयी हूँ। भारतीय लोगों में बहुत प्रतिभा होती है, वे कई भाषायें फर्राटे से बोलते हैं, और तकरीबन सभी पेशेवर होते हैं। मैं कभी भारत नहीं गयी, लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि भारत में गरीबी होगी। परंतु टीवी पर मैंने भारत की गरीबी देखी है। यह भी सुना है कि नेता लोगों को आपस में लड़वाकर उन्हें कई सालों से गरीबी से ऊपर उठने नहीं दे रहे। यदि भारत के सभी गरीब लोगों को शिक्षा मिले, तो वे सही-गलत का फैसला सोच-समझकर लेंगे, जिससे लोकतंत्र और देश का विकास होगा।

मैं: भारत में आजकल चुनाव हो रहे हैं। इसके बारे में क्या जानती हैं आप?
वेन्या: मैंने सुना है कि भारतीय चुनावों में बहुत धांधली होती है। और कई बार प्रधानमंत्री उसे बना दिया जाता है जिसकी पार्टी को बहुत ही कम सीटें मिली होती हैं। यह गलत है। प्रधानमंत्री वही बने जिसे जनता का सबसे अधिक समर्थन हो, न कि नेताओं का। ताइवान में लोग सीधे ही राष्ट्रपति को चुनते हैं, कुछ ऐसा ही भारत में भी किया जा सकता है। राजनैतिक पार्टियों की संख्या कम रखें तो लोगों के विचारों में राजनैतिक उलझनें कम होंगी। भारत और चीन जैसे बड़े देशों में या तो सैनिक सरकार राज कर सकती है, या फिर भगवान का कोई अवतार, जिसकी प्रभुता पर कोई सवाल न खड़े कर सके।

(और वह ठहाका लगाकर हँस पड़ी!)

मैं: भारत के लोगों के लिये कोई संदेश?
वेन्या: जरूर! भारत के लोगों में बहुत ताकत है, और मैं बचपन से ही भारत के गुणगान सुनती आयी हूँ। भारत के लोगों को चाहिये कि नेताओं के चक्कर में न पड़ें। चुनाव में वोट जरूर डालने जायें, लेकिन नेताओं के वादों पर भरोसा न करें। अपने क्षेत्र के विकास के लिये खुद ही पहल करें, नेताओं की बाट न जोहें।

ये थे एक ताइवानी लड़की के विचार! जाते-जाते ताइवान का झंडा देखिये:



चाय खत्म हुयी, चलिये अब टहलने चलते हैं!

16 टिप्‍पणियां:

Rachna Singh ने कहा…

isko blog par daene kae liyae dhnyavaad

निर्मला कपिला ने कहा…

vah videshi ladki duara sandesh! andaaz achha laga is batcheet ke liye bhi shukaria

अनिल कान्त ने कहा…

shukriya share karne ke liye

mehek ने कहा…

bahut achhi mulakat rahi en mohatarma se,shukran,taiwan ke bare mein kaafi jankari mili.

Unknown ने कहा…

इस बात पर मुझे रंग दे बसंती का गाना याद आ गया रू-ब-रू । यह साक्षात्कार बहुत पंसद आया ।

Anil Kumar ने कहा…

मैंने अभी वेन्या जी को यह पन्ना दिखाया। आप सबकी वाह-वाहियाँ देखकर वह बहुत खुश हुयी।

वेन्या जी के विचार एक आम भारतीय से कितने मिलते-जुलते हैं न? हम सब कितने अलग-अलग दिखते हैं, लेकिन फिर भी सोच एक-सी ही रखते हैं!

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छा लगा यह साक्षात्‍कार ... वेन्‍या जी बहुत संतुलित हैं ।

Shuaib ने कहा…

ताइवान और ताइवानी लड़की से मिलवाने के लिए धन्यवाद

not needed ने कहा…

ताइवान में कोन सा धरम मुख्य तौर पर मन जाता है?

नितिन | Nitin Vyas ने कहा…

ताईवान के बारे में जानकर अच्छा लगा, वेन्या जी को शुभकामनायें

Anil Kumar ने कहा…

ताइवान में बहुत से धर्मों को मान्यता है। सोलहवीं सदी में भारत से बौद्ध धर्म वहाँ पर आया था, जिसे आज भी ताइवान में 49 लाख लोग मानते हैं। बौद्ध धर्म ताइवान का सबसे प्रचलित धर्म है। उनके अपने प्राचीन "ताओ" धर्म को मानने वाले 45 लाख लोग हैं। 3 लाख लोग ईसाई हैं। 20,000 मुस्लिम भी हैं। इतने सारे धर्म होने के बावजूद वे सब मिल-जुलकर रहते हैं, कोइ दंगे-फसाद नहीं होते।

वहां पर सिर्फ 0.1% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं (भारत में 42%), और 95% लोग साक्षर हैं (भारत में 61%)।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

ताईवान के बारे मे बहुत बताया आपकी ताईवानी मित्र ने , धन्यवाद

dpkraj ने कहा…

इस साक्षात्कार से एक राय बनती नजर आ रही है कि हम भारतीय समाज के चार वर्णों में बंटे होने की बात को केवल अपनी ही प्रवृत्ति मानते हैं पर यह तो पूरी एशिया की लगती है। जैसे कि साक्षात्कार में उस लड़की ने बताया कि उसका समाज तीन भागों में बंटा है ‘शिक्षक योद्धा और अन्य’। एक दिलचस्प बात यह कि वह उस लड़की ने नयी पीढ़ी के चीनियों को अपने समाज में आत्मसात करते हुए उनको वोट का अधिकार देन की बात की है। इससे हमें सीखना चाहिये। आपका यह लेख बहुत ज्ञान वद्धर्क रहा।
दीपक भारतदीप

Anil Kumar ने कहा…

अरे नहीं दीपक जी, वेन्या जी ने कहा कि उनके समाज को पुराने समय में राजाओं ने तीन भागों में बाँट रखा था। लेकिन जब से लोकतंत्र आया है, समाज की उन "जातियों" को कोई नहीं मानता। सभी लोग एक-बराबर हैं! यह जातिप्रथा का रोग अन्य सभी देशों ने निकाल फेंका है - बस हम ही रह गये हैं जो इसे अभी तक छाती से चिपकाकर घूम रहे हैं।

और आज वेन्या ने मुझे आज बताया कि पड़ोसी देश चीन से उनके लाख झगड़े हों, लेकिन उसकी कई ताइवानी सहेलियों ने चीनी लड़कों से शादी कर रखी है। क्या कोई भारतीय-पाकिस्तानी आपस में ऐसा कर सकते हैं? इससे साफ पता चलता है कि हमारे बीच प्यार के नहीं, नफरत के बीज बोये गये हैं। इन बीजों से अन्याय और अस्थिरता की जो फसल उगी है, उसे निकाल बाहर करना होगा। तभी हमारी गरीबी 42% से कम होकर 0.1% आयेगी।

तभी होगा "वसुधैव कुटुंबकम्!"

VISHWANATH SAINI ने कहा…

भारत के बारे में वेन्या जी के विचार जानकार बहुत अच्छा लगा। काश, कप में चाय अधिक होती तो शायद और भी अच्छा लगता..

Paise Ka Gyan ने कहा…

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