सास: बहू, बेटा ही पैदा होना चाहिये।मैं अभी अविवाहित हूँ। यदि विवाह नहीं भी होगा तो मेरे कुलनाम को धारण करने वाला कोई व्यक्ति नहीं रहेगा। ऐसा होने से क्या दुनिया खत्म हो जायेगी?
बहू: क्यों?
सास: बेटे से ही वंश चलता है।
बहू: आपके ससुर का नाम क्या है?
सास: वेद प्रकाश सिंह
बहू: उनके पिता का क्या नाम है?
सास: सत्य प्रकाश सिंह
बहू: और उनके पिता का क्या नाम है?
सास: उनका तो पता नहीं।
बहू: और उनके पिता के पिता का क्या नाम था?
सास: बहू, तू ऐसे वाहियात सवाल क्यों कर रही है?
बहू: जब आपको खुद ही नहीं पता कि आप किसका वंश चला रही हैं तो बेटे पैदा करके क्या फायदा?
दुर्भाग्य है कि मेरे कई पुरुष दोस्तों ने विवाह के बाद अपने माता-पिता को घर से मार-भगाया है। लेकिन बहुत सी लड़कियाँ ऐसी हैं जो आज भी अपने माता-पिता को याद करके उनकी सुध ले लेती हैं। क्या इसीलिये उपरोक्त सास जैसी महिलाओं को लड़के अच्छे लगते हैं?
आँकड़े क्या कहते हैं?
क्षेत्र | प्रति 1000 पुरुषों पर कितनी महिलायें? |
जम्मू और कश्मीर | 900 |
हिमाचल प्रदेश | 970 |
पंजाब | 874 |
चंडीगढ़ | 773 |
उत्तरांचल | 964 |
हरियाणा | 861 |
दिल्ली | 821 |
राजस्थान | 922 |
उत्तर प्रदेश | 898 |
बिहार | 921 |
सिक्किम | 875 |
अरुणाचल प्रदेश | 901 |
नागालैंड | 909 |
मणिपुर | 978 |
मिज़ोरम | 938 |
त्रिपुरा | 950 |
मेघालय | 975 |
असम | 932 |
पश्चिम बंगाल | 934 |
झारखंड | 941 |
उड़ीसा | 972 |
छत्तीसगढ़ | 990 |
मध्य प्रदेश | 920 |
गुजरात | 921 |
दमण और दियू | 709 |
दादरा और नगर हवेली | 811 |
महाराष्ट्र | 922 |
आंध्र प्रदेश | 978 |
कर्नाटक | 964 |
गोआ | 960 |
लक्षद्वीप | 947 |
केरल | 1058 |
तमिलनाडु | 986 |
पांडिचेरी | 1001 |
अंडमान और निकोबार | 846 |
सिर्फ केरल और पांडिचेरी में महिलायें पुरुषों से अधिक हैं। हरियाणा और पंजाब में महिलाओं की इतनी कमी हो चुकी है, तो क्या हरियाणवी और पंजाबी पुरुष केरल की महिलाओं से विवाह करना पसंद करेंगे?
तेजी से कम हो रही महिलाओं की संख्या के चलते भारतीय पुरुषों को विवाह के लिये महिलायें कहाँ से मिलेंगी? क्या ये पुरुष दूसरे पुरुषों से ही शादी करेंगे? क्या संविधान में संशोधन करके समलैंगिक विवाहों को अनुमति देनी होगी?
यदि भारत में कन्या भ्रूणहत्या की वजह से महिलाओं की संख्या ऐसे ही कम होती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें महिलायें दूसरे देशों से आयात करनी पड़ेंगी। "मेड इन चाइना" बहू कैसी रहेगी? खूब चलेगा अपना वंश, क्यों?
ध्यान रहे कि महिलाओं की आयु पुरुषों से कई साल लंबी होती है। ऐसे में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम कैसे हो गयी? करोड़ों कन्याओं को भ्रूण बनते ही मार दिया गया होगा, ज़रा सोचिये।
यदि दूरदर्शन पर "कृष्णा" धारावाहिक देखा हो तो बतायें कि किस पात्र ने कन्या-हत्या करने की कोशिश की थी, और उसका क्या अंजाम हुआ?
यदि अभी भी समझ में नहीं आया, तो चलिये मेरे आखिरी सवाल का जवाब दीजिये:
"पंडित जवाहर लाल नेहरू का एक ही बेटा था, जिसने भारत पर कई वर्षों तक प्रधानमंत्री बनकर शासन किया। उसका नाम बताइये"
18 टिप्पणियां:
haryana aur punjab ke logon ko to sharm se doob kar mar jana chahiye ...jo baatein to badi badi karte hain ...aur kaam itna gira hua ....sabse jyada ameer aur padhne likhne wale bhi hain ...phir bhi sharmsar kar dete hain ..
भ्रूण हत्या: भारतीय मानस की बेटे के प्रति चाहत की दोड़ यही से शुरू होती है. जागरूकता, सखत कानून : यही रास्ता है इसे कम करने का.
उम्दा पोस्ट !
शुरूआती संवाद बहुत ही मजबूत लगा मुझे.. कमाल का है..
महिलाओ का अनुपात वाकई विचारणीय है.. लोगो की मानसिकता पता नहीं कब बदलेगी.. दुःख इस बात का है कि कुछ लोग महज चंद पैसो की खातिर इस तरह के कामो को अंजाम देते है..
आपका लेख बहुत ही अच्छा लगा और ये जानकर बहुत खुशी हुयी कि आप भी मेरे ही ख्याल के आदमी हैं ।
बेटी के मुकाबले बेटा पाने की चाहत वाक़ई अक्सर लोगो में पायी जाती है । हाँलाकि हम लोग अक्सर देखते हैं कि बेटियाँ अपने माता-पिता को बेटों से ज़्यादा प्यार करती हैं लेकिन फ़िर भी लोग भ्रूण हत्या जैसे घृणित कार्य के लिये कैसे तैय्यार हो जाते हैं । मैं Dr. Munish से सहमत हूँ कि इसको कम करने का सही रास्ता जागरूकता और सख्त कानून ही है ।
बहुत चिंता की बात है कि समाज में महिलाओं का अनुपात कम हो रहा है। भ्रूण हत्या पर अगर कस कर लगाम नहीं लगाई गई तो ये समस्या विकराल हो जाएगी। घर-घर में पांचाली होगी और लड़कों को दहेज देने पर भी लड़की नहीं मिलेगी। आपने बहुत प्रभावशाली ढंग से इस समस्या को उठाया है। आपको साधुवाद।
bahut hi usndar blog, aur ekdam sacchi batein likhi hai aapne. samaj mai sadio purana ye jahar ki aur aapne suraj ki roshni failane ka kaam kiya hai..
केरल पांडिचेरी जिन्दाबाद!
ये आंकडे तो सच्चाई है ... पर यदि हम अभी भी नहीं चेतें ... तो भविष्य में इससे अधिक भयावह आंकडे आनेवाले हैं ... आपने जो शुरूआती संवाद दिया है ... वह बहुत सटीक है ... किसका वंश बढा रहे हैं हम ... दो तीन पीढी बाद कुछ भी याद नहीं रहता ... सिर्फ यही कि हमारे पूर्वज मानव थे।
बढिया लिखा और ये एक ऐसी चिंता है जो आगे जाकर बहुत समस्याएं खडी करेगी. खाली हरयाणा और पंजाब के लोगों के शर्म से डूबकर मरने से हल नही होगी.:)
रामराम.
बहुत अच्छा लिखा है.
नेहरू जी के उस 'बेटे' की तो
हर बात निराली है !
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
विचारनीय लेख ..यह आंकडे बहुत डराने वाले हैं
बहूएँ प्रश्न करने लगेँगी तब समाज मेँ बदलाव आने लगेँगे ........
- लावण्या
ये आंकडे हमारे 'महान' भारतीय संस्कृति की एक और पोल खोलते है.....हमारे भारतीय संस्कृति में पाखंड और दोगलापन ज्यादा है, ईमानदारी कम. भारतियों को बेटा क्यों चाहिए?? वंश चलाना तो एक बहाना मात्र है. दरअसल भारतीय माँ-बाप 'लड़के' को एक investment के रूप में देखते है. लड़का हुआ, तो हमेशा साथ रहेगा, और बुढापे में सहारे की लाठी बनेगा. ज़िन्दगी आराम से कटेगी. (अफ़सोस जो की आजकल नहीं होता है, और एक तरफ से अच्छा ही है, कम से कम ऐसे घटिया माँ बाप का पुत्र मोह तो भंग हो??) . लड़की तो 'पराये घर की बेटी' है, दुसरे की Property है, उसपे और investment करके क्या फायदा?? लड़कियों के साथ एक ही परिवार में सौतेला व्यव्हार इसी मानसिकता की उपज है.
जो माता पिता अपने ही बच्चे का गला दुनिया देखने के पहले कोख में ही घोट देते है (निजी स्वार्थ के लिए), ऐसे माता पिता के साथ कैसा व्यव्हार किया जाना चाहिए?? 'पूजनीय' कह कर फूल माला चढाना चाहिए ?? ऐसे माता पिता को अगर दुर्भाग्यवश (सौभाग्यवश) उनका 'सुपुत्र' बुढापे में नर्क के दिन दिखाता है, तो मेरे विचार से वह पुन्य कर्म के ही बराबर है.
aadambarvaadi vanshvaad par aapkaa yeh tanz prasanshniya hai.similar vicharon ke liye is naacheez kai blog par[ ramnavamiparjaimataadi]2|4|2009ka lekh padne ka nivedan hai.
दो बातें कहना चाहूंगी.. पहली तो यह --लगता है हम जल्द ही लुप्तप्राय प्रजाति होने वाले हैं (अगर यह हाल रहा तब )
दूसरी --बहु इतना कह देगी (यानि इतनी आजादी है सवाल करने की ..नही ..कभी उन आकडों को भी देखिये जो बहुओं को जलाये जाने पर आधारित होते हैं)?
चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे उनन्त प्रदेशों में भी ऐसे आँकड़े अचरज का विषय है..
hey nice.. its too good and informative.. thats what we TV people trying to show now-a-days..
I know we need need more eye openers..
छत्तीसगढ़ का तीसरा स्थान देखकर अच्छा लगा . कुछ पुरुष नपुंसक भी तो होते हैं, जहाँ ज्यादा होंगे स्त्रियाँ भी वहां कम होंगी . भारत में कानून बनाने की एक बीमारी है , येहाँ नेताओं और अधिकारीयों को हर मर्ज की दवा कानून लगती है, सामाजिक समस्या भी ये डंडे से सुलझाना चाहते हैं सो इन्होने एक PNDT एक्ट बना दिया डंडा किस पर चलेगा? डॉक्टर पर , मर्ज रुकेगा , नहीं दाम बढ़ जायेंगे, सरकारी उगाही का तरीका .
और जगह जगह नोटिस बोर्ड लगा कर उन लोगों को भी बता दिया जो इस टेस्ट के बारे में नहीं जानते .
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