२६ नवंबर से २९ नवंबर तक चार दिनों में भारत में कितने लोग मारे गये? किन कारणों से उनकी मौत हुयी? आइये एक नजर डालते हैं!
- दिमाग की नस फटने से मौतें: 8,449
- नवजात शिशुओं की मौतें: 8,350
- दमे और साँस की बीमारी से मौतें: 5,315
- दस्त और हैजे से मौतें: 4,997
- टीबी से मौतें: 3,989
- एड्स से मौतें: 3,956
- सड़क दुर्घटनाओं से मौतें: 2,071
- आत्महत्याओं से मौतें: 1,995
- दिल के दौरे से मौतें: 1,677
- निमोनिया से मौतें: 1,205
- आतंकवाद से मौतें: 195
मौत के कारणों को घटते क्रम में दर्शाया गया है।
मरने के कई कारण हैं। लेकिन जो कारण सबसे अधिक जानलेवा हैं, उनपर किसी का ध्यान क्यों नहीं जाता? अखबार में क्यों रपट नहीं छपती कि फलानी कॉलोनी में लोग कसरत नहीं करते थे, इसलिये सैकड़ों लोगों को दिल का दौरा पड़ा और दिमाग की नसें फटीं? कि फलाने शहर में वायु प्रदूषण होने की वजह से हजारों लोग साँस की बीमारी से मारे गये? कि गर्भवती महिला को सही खुराक और समय पर इलाज न मिलने की वजह से जच्चा-बच्चा दोनों ने शैया पर ही दम तोड़ दिया? कि किसी का बच्चा दूषित हैंडपंप का पानी पीकर हैजे से मर गया?
आतंकवाद की खबरें पीट-पीटकर रेडियो-टीवी ने बहरा कर दिया। लेकिन यहाँ जो अनकही मौत की कहानी दिखाई दे रही है, उसकी तरफ किसी खबरी चैनल का ध्यान क्यों नहीं जाता?
क्योंकि ये कारण जानलेवा ज़रूर हैं, लेकिन सनसनीखेज नहीं। क्योंकि इन खबरों को चलाकर पैसे और वोट नहीं बनाये जा सकते।
हमारे नेता मंदिर-मस्जिद को तो चुनावी मुद्दे बना लेते हैं, लेकिन कसरत और सेहत को कोई क्यों नहीं मुद्दा बनाता?
भारत को चाहिये कि फटाफट आतंक से निजात पाये, और असली मुद्दों पर ध्यान दे। तभी देश का भला होगा।
3 टिप्पणियां:
आतंकवाद की मौतों में भी मीडिया थोडी choosy है......उसी आतंकवादी हमले में VT Station और हस्पताल में सैकडो लोग मारे गए थे....पर उनकी ख़बर पर मखियाँ भी नही भिनभिनाई.............हस्पताल में गरीब सड़े गले लोग इलाज करवाने आते है, उनकी ख़बर से थोड़े ही सनसनी पैदा होती है? VT Station में अधिकतर मध्यमवर्गीय और गरीब लोग मरे गए, उनकी ज़िन्दगी भी वैसे ही धरती पर बोझ है..................
कीमती तो भाई साहब उन लोगो की ज़िन्दगी है, जो ५ सितारा होटलों में रहते और खाते है...........उनकी मौत पर मीडिया को इतना दर्द हुआ, की हस्पताल और Station की मौत को भुला कर अपलक ताज के सामने अपना कैमरा लिए डटे रहे........
अनिल जी, दोनों चिजों का अपना महत्त्ब है... और मुकाबला दोनों से हो..
अनिल भाई यकीन मनिये कि आपका लेखन पलकें चीर कर सच दिखा देने वाला है। बेहतरीन लिखा है शानदार है अद्भुत है...
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